भोपाल। मध्यप्रदेश के गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह एक बार फिर विवादों में आ गए हैं। हाल ही में उन्होंने भोपाल गैंगरेप पीड़िता को पद्मावती अवार्ड देने की बात कही थी। अब विधानसभा में उन्होंने बयान दिया है कि टीकमगढ़ मामले में किसी आंदोलनकारी का अपमान नहीं हुआ है। बता दें कि टीकमगढ़ में 3 अक्टूबर 2017 को अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन कर रहे किसानों को पुलिस ने थाने में बंद किया और कपड़े उतारकर उनकी पिटाई की थी। घटना के दूसरे दिन गृहमंत्री ने कहा था कि मामले की 3 दिन में जांच पूरी कर ली जाएगी और दोषी अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
आज विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान प्रदेश के गृहमंत्री श्री भूपेन्द्रसिंह द्वारा कांग्रेस विधायक श्री बाला बच्चन के लिखित सवाल के जबाव में कहा गया कि पिछले 3 अक्टूबर को टीकमगढ़ जिले में आंदोलित किसानों को थाने ले जाकर कपड़े उतरवाने से उनका कोई अपमान नहीं हुआ है। बता दें कि घटना को लेकर किसी भी पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारी को निलंबित नहीं किया गया, सिर्फ थाना प्रभारी को दूसरे जिले में भेजा गया तथा अन्य कर्मचारियों को लाईन अटैच किया गया।
मप्र कांग्रेस कमेटी ने गृहमंत्री भूपेन्द्रसिंह का विधानसभा में शर्मनाक बयान दिये जाने पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि थाने में किसानों के कपड़े उतरवाने से उनका अपमान नहीं हुआ है तो वे बतायें कि राज्य सरकार किसानों के साथ अब और क्या करवाना चाहती है। श्री सक्सेना ने गृहमंत्री भूपेन्द्रसिंह पर प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर हमला बोलते हुए कहा कि किसानों पर गोली चलवाना, अर्धनग्न करने की घटना एक सोची-समझी साजिश है। किसानों को भावांतर के भंवर में उलझाकर उनकी फसलें औने-पौने दामों पर व्यापारियों को बेचने पर विवश किया जा रहा है।
क्या हुआ था घटनाक्रम
मंगलवार 3 अक्टूबर को टीकमगढ़ जिले को सूखाग्रस्त घोषित कराने सहित अन्य मांगों को लेकर कांग्रेस के आंदोलन में शामिल हुए सैकड़ों किसानों पर पुलिस ने लाठिया बरसाई थी। इसके बाद अपने गांव वापस लौट रहे कुछ किसानों को पुलिस ने रोक लिया। उनके ट्रेक्टर ट्रॉली जब्त कर लिए और कपड़े उतरवाकर पीटा। जब इसकी जानकारी पूर्वमंत्री यादवेन्द्र सिंह को लगी तो उन्होंने थाने जाकर किसानों को मुक्त कराया। इससे नाराज टीकमगढ़ के व्यापारियों ने बुधवार को मार्केट बंद रखा था।
गृहमंत्री ने कहा था कड़ी कार्रवाई करेंगे
टीकमगढ़ में किसानों के साथ हुई बर्बरता का मामला तूल पकड़ने पर प्रदेश के गृहमंत्री सिंह ने बुधवार को मीडिया से चर्चा करते हुए कहा, थाने में पिटाई की बात तो सामने नहीं आई है, लेकिन कपड़े उतरवाने का मामला सामने आया है। इसकी जांच कराई जा रही है। पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिए गए हैं कि जांच कराकर तीन दिन में रपट दें। जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
क्यों बिगड़ गए थे हालात
प्रदर्शनकारी कलेक्टर को ज्ञापन देने की मांग कर रहे थे, लेकिन वे अपने दफ्तर से नीचे नहीं उतरे। जबकि गेट पर केवल 8-10 कांग्रेसी नेता ही ज्ञापन देने गए थे। इस बीच एडीएम आदित्य सिंह, एएसपी राकेश खाखा कांग्रेसी नेताओं से कलेक्टर चैंबर में चलकर ज्ञापन देने की बात करते रहे। कांग्रेसी इस बात के लिए राजी नहीं हुए, वे गेट पर ही धरना देकर बैठ गए। करीब 45 मिनट तक कांग्रेसी गेट पर उनके इंतजार में बैठे रहे। इसी दौरान माहौल तनावपूर्ण हो गया। पुलिस ने किसानों को तितर बितर करने की कोशिश की, इस दौरान विवाद बढ़ा और पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया।