इंदौर। मप्र लोक सेवा आयोग का ढर्रा भी घटिया दर्जे के परीक्षा बोर्ड जैसा हो गया है। कब फैसला बदल जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। चौंकाने वाली बात तो यह है कि बेवसाइट पर परीक्षा परिणाम जारी करने के बाद लिस्ट हटा ली गई और इसका कोई कारण भी नहीं बताया जा रहा। मामला पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का हे। विकासखंड अधिकारी (बीडीओ) पद के लिए विभागीय परीक्षाओं का आयोजन किया गया था। अब इस मामले में गड़बड़ी की संभावनाएं जताई जा रहीं है।
पीएससी ने 6 नवंबर को बीडीओ का रिजल्ट और अंतिम चयन सूची जारी की थी। रिजल्ट को वेबसाइट पर भी प्रसारित कर दिया गया था। इसमें उपलब्ध पद के मुताबिक 71 उम्मीदवारों को मुख्य सूची में चयनित घोषित किया गया था, जबकि 17 उम्मीदवारों की अनुपूरक सूची यानी वेटिंग लिस्ट भी जारी की गई थी। 9 नवंबर को पीएससी की आधिकारिक वेबसाइट से घोषित रिजल्ट हटाते हुए पीएससी ने रिजल्ट वापस लेने की घोषणा की है। इसके पीछे कारण स्पष्ट नहीं किया गया।
शुक्रवार को उम्मीदवार पीएससी मुख्यालय संपर्क कर कारण जानने की कोशिश करते रहे। उम्मीदवारों के मुताबिक यह भी स्पष्ट नहीं है कि पीएससी रिजल्ट में परिवर्तन करेगा या नहीं। नया रिजल्ट कब जारी होगा, इस पर भी पीएससी चुप है। सूत्रों के मुताबिक मामले में पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग के आला अधिकारी शुक्रवार को भोपाल से इंदौर स्थित पीएससी मुख्यालय भी पहुंचे।
आरक्षण का झमेला
बीडीओ की यह परीक्षा विभागीय स्तर की थी। यानी इसमें ग्रामीण विकास विभाग के निचले पदों पर पदस्थ कर्मचारियों ने ही हिस्सेदारी की थी। परीक्षा की प्रक्रिया मार्च 2016 में विज्ञापन जारी होने के साथ हुई थी। सितंबर 2016 में ऑनलाइन परीक्षा ली गई थी। 2 नवंबर 2016 को लिखित परीक्षा का परिणाम घोषित होने के बाद मामले में एक याचिका भी लगी थी।
हालांकि अगस्त 2017 में कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद पीएससी को प्रक्रिया आगे बढ़ाने की हरी झंडी मिल गई थी। पीएससी ने 1, 2 और 3 नवंबर को लिखित परीक्षा में चयनित उम्मीदवारों के इंटरव्यू लिए। फिर 6 नवंबर को अंतिम परीक्षा परिणाम और चयन सूची जारी की गई।
स्पष्टीकरण मांगा है
परिणाम व प्रक्रिया पर कुछ संशय था हमनें शासन से स्पष्टीकरण चाहा है। इससे ज्यादा हम कुछ भी नहीं बता सकते।
पवनकुमार शर्मा, सचिव, मप्र लोकसेवा आयोग