मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा है कि जनता के पैसे से राजनीतिज्ञों को सरकार सुरक्षा क्यों मुहैया करा रही है। एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने यह तल्ख टिप्पणी की। चीफ जस्टिस मंजुला छेल्लर व जस्टिस एमएस सोनक ने कहा कि राजनेता अपनी सुरक्षा का खर्च अपनी पार्टी के खाते से वहन कर सकते हैं तो उन्हें सरकार अपने खर्च पर बॉडीगार्ड क्यों दे रही है। आखिर इसकी जरूरत क्या है।
एक वकील ने याचिका दायर करके अदालत से अपील की है कि पुलिस को आदेश दिया जाए कि ऐसे लोगों की सुरक्षा तत्काल वापस की जाए। याचिका में कहा गया है कि राजनतिज्ञों के साथ फिल्म अभिनेताओं व अन्य वीआइपी लोगों को भी सरकार अपने खर्च पर सुरक्षा मुहैया करा रही है। इन लोगों ने सरकार को एक पैसे का भुगतान इसकी एवज में नहीं किया है।
सुरक्षा तत्काल वापस की जाए
याचिका के अनुसार तकरीबन एक हजार जवान सुरक्षा व्यवस्था के लिए तैनात किए गए हैं। अदालत ने सरकार से कहा कि जिन लोगों को सुरक्षा दी गई है, उनकी लगातार निगरानी करके यह पता लगाया जाए कि उन्हें सुरक्षा की जरूरत अब भी है या नहीं। सरकार को लगता है कि इन लोगों के जीवन पर अब कोई संकट नहीं है तो सुरक्षा तत्काल वापस की जाए।
छह माह बाद बदले जाएं
अदालत ने यह भी कहा कि सुरक्षा व्यवस्था में तैनात जवानों को छह माह बाद दूसरे काम पर लगाया जाए, जिससे वह अपने काम के प्रति सजग रहें। यह भी कहा गया कि जवानों की फिटनेस को भी लगातार परखा जाए। हल्के मूड में उन्होंने कहा कि वह अपने बाडीगार्ड से तेज भाग सकती हैं। हाई कोर्ट ने इंदिरा गांधी के मामले से सबक लेने की नसीहत दी। पूर्व प्रधानमंत्री को कहा गया था कि वह अपने बॉडीगार्ड बदल लें, लेकिन उन्होंने इसकी अनदेखी की, नतीजा सबके सामने है।