2016 में ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल के सर्वे में ये सामने आया था कि भ्रष्टाचार के मामले में भारत एशिया में सबसे आगे है। विश्व के 175 देशों के सर्वे में भारत को 79वां स्थान दिया गया था। इसी संस्था ने 2005 में कहा था कि 92 फीसदी भारतीयों ने अपने जीवन में कभी ना कभी रिश्वत का सहारा लिया है। भ्रष्टाचार हर चुनाव में मुद्दा बनाया जाता है, लेकिन चुनाव के बाद सिर्फ भ्रष्टाचार के बड़े मामलों की बात होती है। जबकि आम आदमी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भी उसी सिस्टम पर निर्भर है जो गर्दन तक रिश्वतखोरी में डूबा हुआ है।
आखिर आम आदमी को परेशान करने वाले भ्रष्टाचार के खिलाफ पार्टियां और सरकारें कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाते। लोकल सर्किल के सर्वे में एक बार फिर ये बात सामने आई है कि पिछले एक साल में आधे लोग अपने सामान्य काम करवाने के लिए घूस देने पर मजबूर हुए। सर्वे में हिस्सा लेने वाले आधे लोगों पिछले 1 साल में काम करवाने के लिए घूस देने के लिए मजबूर हुए और इनमें से आधे लोगों को एक साल में कई बार घूस देनी पड़ी।
सर्वे में शामिल लोगों के मुताबिक सबसे ज्यादा, 84 प्रतिशत मामलों में राज्य सरकार के दफ्तरों में रिश्वत देनी पड़ी, लेकिन रिश्वत का चलन केंद्र सरकार के दफ्तरों में भी है, स्कूल, एनजीओ, कोर्ट में भी और कुछ हद तक प्राइवेट सेक्टर में भी है। सर्वे के अनुसार 84 फीसदी राज्य सरकार के दफ्तर में घूस देनी पड़ी जबकि 9 फीसदी घूस केंद्र सरकार के दफ्तर में देनी पड़ी है। वहीं प्राइवेट सेक्टर के दफ्तर में 2 फीसदी और स्कूल सहित कोर्ट कचहरी के मामलों में 5 फीसदी घूस देनी पड़ी।
रिश्वतखोरी के मामले में पुलिस, म्युनिसिपैलिटी और प्रॉपर्टी से जुड़े संस्थान सबसे आगे हैं। लोगों का मानना है कि रिश्वतखोरी रोकने के लिए राज्य सरकारें या नगरपालिका बहुत कम ही कदम उठाते हैं और अगर कोई कदम उठाते भी हैं तो उसका असर नहीं होता। 30 फीसदी ट्रैफिक और पुलिस, नगरपालिका में 27 फीसदी, प्रॉपर्टी के मामलों में 27 फीसदी और अन्य जगहों पर 16 फीसदी घूस देना पड़ा है।
रिश्वत की शिकायत करने के लिए ऐसी हॉटलाइन की व्यवस्था भी नहीं है जिसपर शिकायत करने से तुरंत एक्शन हो। दिलचस्प बात है कि 36 प्रतिशत लोग मानते हैं कि रिश्वत ही काम करवाने का एकमात्र तरीका है, जबकि 20 प्रतिशत लोग समय और मेहनत से बचने के लिए रिश्वत का सहारा लेते हैं। 39 फीसदी लोगों ने सीधे नकद के रूप में रिश्वत दी और बाकी तोहफे के रुम में या फिर दलाल के माध्यम से रिश्वत देकर काम करवाने में कामयाब हुए। सर्वे में 9 फीसदी लोगों ने कंप्यूटराइजेशन और सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में घूस देने की बात मानी है।