
बिड़ला के लीगल एडवाइजर ने कहा है कि उनके क्लाइंट ने विदेश में कोई अघोषित संपत्ति नहीं रखी है। पता चला है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का दावा कुछ साल पहले हुई तलाशी के दौरान जमा सबूतों और तलाशी के बाद कुछ टैक्स हेवेंस से मिली सूचनाओं पर आधारित है। बिड़ला के वकील एमजेडएम लीगल के जुल्फीकार मेमन ने कहा, 'मूल रूप से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से जारी किया गया 291बी नोटिस गलत था। अथॉरिटीज को जैसे ही गलती का पता चला, उसे वापस ले लिया। अब रिवाइज्ड नोटिस जारी किया गया है।
हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि किसी भी तरह से कोई रकम की मांग नहीं की गई है क्योंकि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का असेसमेंट अभी पूरा नहीं हुआ है। हमने इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दी है। फ्यूचर में कोई असेसमेंट होता है तो वह बॉम्बे हाई कोर्ट में डाली गई याचिका के मद्देनजर होगा। हालांकि इस बात की भी संभावना है कि असेसमेंट कभी हो ही नहीं।'
इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 281 के तहत उन मामलों में आयकर विभाग को रेवेन्यू सुरक्षित रखने के लिए अनौपचारिक कुर्की करने की इजाजत होती है, जिसमें टैक्स असेसमेंट की कार्रवाई जारी होती है या फिर इनकम असेसमेंट का काम नहीं हुआ हो। प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर की मियाद छह महीने होती है। एक बैंक अफसर ने बताया कि इस मामले में यूनियन बैंक और एचडीएफसी बैंक को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से बिड़ला के दो बैंक खातों को लेकर 'नो डेबिट' इंस्ट्रक्शंस मिले हैं। टैक्स डिपार्टमेंट का नोटिस 2008-09 से 2014-15 के बीच टैक्स असेसमेंट से जुड़ा है। बिड़ला 2016 में इनकम टैक्स सेटलमेंट कमीशन के पास चले गए थे। यह कमीशन टैक्स से जुड़े विवादों के निपटारे की वैकल्पिक व्यवस्था है।
जब कमीशन ने याचिका रद्द कर दी तो बिड़ला हाई कोर्ट चले गए, पर अदालत ने मामला वापस कमीशन के पास भेज दिया। कमीशन ने सितंबर 2017 में असेसी के लगभग 2.8 करोड़ रुपये का पेमेंट करने का ऑफर खारिज कर दिया। मामले को टैक्स असेसिंग ऑफिसर ने फिर से उठाया और फ्रेश नोटिस जारी किया। बिड़ला सेटलमेंट कमीशन के ऑर्डर को चुनौती देने के लिए फिर हाई कोर्ट चले गए।