भोपाल। जब तक समाज में विसंगतियां रहेंगी, व्यंग्य प्रहरी की भूमिका में रहेगा, यदि आज मध्यप्रदेश में व्यंग्य भरपूर लिखा जा रहा है, तो इसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि यहां विसंगतियां अधिक हैं। यह कहना है सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार पद्मश्री डॉ ज्ञान चतुर्वेदी का। वे आर्ट एंड कार्टून सोसायटी ऑफ इंडिया और गयाप्रसाद खरे स्मृति साहित्य कला और खेल सम्बर्धन मंच द्वारा मासिक पत्रिका 'अट्टहास' मध्यप्रदेश के व्यंग्यकार विशेषांक का लोकार्पण करते हुए अपने अध्यक्षीय उदबोधन में व्यक्त कर रहे थे।
विसंगतियों के खेत में उपजता है व्यंग्य
इस अवसर पर मुख्य आयकर आयुक्त और सुपरिचित साहित्यकार श्री आरके पालीवाल ने आयोजन में विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा कि समाज में विसंगतियों के फलस्वरूप ही व्यंग उपजता है, मैँ कामना करता हूँ व्यंग्य विहीन समाज की जहां केवल हास्य ही हास्य हो। व्यंग्य केंद्रित इस परिचर्चा में श्री श्रवण कुमार उरमलिया ने भी व्यंग्य की वर्तमान दशा और दिशा पर विस्तार से अपनी बात रखी। मंचस्थ अतिथियों का शॉल, श्रीफल, एवम स्मृति चिन्ह देकर संस्था की और से श्री अरुण अर्णव खरे, हरिओम तिवारी एवम अनुज खरे ने सम्मान किया।
दिग्गजों ने सुनाए व्यंग्य
कार्यक्रम के दूसरे चरण में घनश्याम मैथिल "अमृत" के संचालन में श्री मलय जैन, प्रमोद ताम्बट,विजी श्रीवास्तव,अनुज खरे, डॉ नीहारिका रश्मि, बसन्त शर्मा, आचार्य संजीव सलिल, गोकुल सोनी, मनमौजी, मनोज श्रीवास्तव,जयप्रकाश पांडेय, रामकुमार चतुर्वेदी, सुदर्शन सोनी, आदि रचनाकारों ने अपनी श्रेष्ठ व्यंग्य रचनाओं की प्रस्तुति से आयोजन को यादगार बना दिया। कार्यक्रम में पत्रिका के सम्पादक श्री अनूप श्रीवास्तव ने भोपाल में मिले स्नेह को पत्रिका की पूंजी बताया तथा अधिक से अधिक नई और युवा पीढ़ी से पत्रिका के सदस्य बनने की अपील की। कार्यक्रम के अंत मे आयोजक अरुण अर्णव खरे ने उपस्तिथ जनों का आभार प्रकट किया।