भोपाल। यूं तो सारा आदिवासी समाज ही कई तरह की प्रताड़नाएं झेल रहा है परंतु सहरिया एक ऐसी प्रजाति है जो 1947 से 2017 तक आजाद ही नहीं हुई। सदियों ने इस प्रजाति को बंधुआ बनाया जाता रहा है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि इन्हे पता ही नहीं कि भारत मं बंधुआ प्रथा अपराध है लेकिन अब शिवपुरी में खनिज माफिया के हमले के बाद सहरिया समाज के लोग लामबंद हो गए हैं और ये भोले भाले गुलाम कमिश्नर को घेरने के लिए शिवपुरी के जंगलों से ग्वालियर की तरफ बढ़ रहे हैं।
सूत्र बता रहे हैं कि सहरिया समाज की गांव गांव में लामबंद हो गई है। जंगलों के रास्ते वो ग्वालियर की तरफ बढ़ रहे हैं। अनुमान जताया जा रहा है कि शनिवार शाम तक उनका एक जत्था नेशनल हाइवे नबर 3 पर आ जाएगा। आने वाले 3 दिनों में सभी जत्थे हाइवे पर आ जाएंगे और ग्वालियर पहुंचकर वो कमिश्नर का घेराव करेंगे। चौंकाने वाली बात यह है कि सभी सहरिया टोलियों में हैं। उनका कोई नेता नहीं है। बस समाज की पंचायत में हुए फैसले का पालन किया जा रहा है।
क्या गुस्साए हैं सहरिया
पिछले दिनों शिवपुरी में एक खनिज माफिया ने सहरियों पर हमला कर दिया था। इस हमले में आधा दर्जन सहरिया आदिवासी घायल हुए। हालांकि इससे पहले भी खनिज माफिया सहरियों का शोषण करते रहे हैं परंतु इस बार सहरिया आदिवासी इसलिए उग्र हो गया क्योंकि यह हमला उस समय किया गया जब सहरिया समाज सरकारी दरों पर मजदूरी की मांग कर रहा था। शिवपुरी में सहरिया क्रांति के नाम से सामाजिक आंदोलन की शुरूआत हुई है। पिछले कुछ सालों में सहरिया क्रांति ने इस समाज में काफी परिवर्तन किए हैं। अब सहरिया आदिवासी शराब से तौबा करने लगा है और अपने सम्मान की मांग करने लगा है। शिवपुरी के जंगलों में खनिज माफिया की वर्षों पुरानी सत्ता स्थापित है। अब माफिया और गुलामों के बीच तनाव शुरू हो गया है।