
शनि यम और काल पर सत्ता
भगवान शिव संहार के अधिष्ठाता हैं। उन्होने अपना ये कार्य कालभैरव को दे रखा है। इनकी आज्ञा से ही शनिदेव पृथ्वीलोक के प्राणियों को दंड देते हैं। वही मृत्यु के पश्चात यमराज जीवों को दंडित करते है। जिनपर कालभैरव की कृपा होती है उनका कोई बाल बही बांका नही कर सकता, ऐसे लोग रोग, जेल, प्रताड़ना आदि से सुरक्षित रहते है।
महाकाल और महाकाली के लाडले
भगवान शिव तथा मां पार्वती का प्रलयकारी तथा दंडात्मक स्वरूप महाकाल और महाकाली है। काल भैरव इन दोनो स्वरूप के अधिष्ठाता हैं। इन पर महाकाल और महाकाली की पूर्णकृपा है। जो लोग कालभैरव की सच्चेमन से सेवा करते है उनको शनि महाराज की कृपा रहती है।
बुरी आत्माओ से रक्षा
जीव की मृत्यु के पश्चात सारी आत्मा भैरवजी के अधीन रहती हैं। जिन लोगों को हवा आदि का प्रभाव रहता है या जो लोग बुरी आत्मा आदि से कष्ट महसूस करते हैं उन्हे काल भैरव की सच्चे मन से आराधना करनी चाहिये। जिससे इन सभी चीजो से छुटकारा मिलता है। साथ ही आपको भगवान शिव तथा मां पार्वती की कृपा प्राप्त होती है।
स्वान (कुत्ता) वाहन
गली मोहल्ले मॆ घूमने तथा रात्रि को पहरा देने वाले कुत्ते भगवान भैरव के वाहन हैं। कहते है बुरी आत्माएं तथा यमदूत इन्हे ही दिखते हैं।