लक्ष्मीनारायण शर्मा/भोपाल। मध्यप्रदेश में 1995 में वृत्ति कर अधिनियम लागू किया गया। प्रदेश के अधिकारी कर्मचारियों के वेतन पर भी वृत्ति कर लगा दिया गया जिसका कर्मचारी संगठनों ने विरोध कर इसे जाजिया कर कहा। भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में वृत्ति कर समाप्त करने का वादा किया पर इसे समाप्त नही किया गया। छठवे वेतनमान में कर्मचारियों की आय बढने के कारण 2013 में वृत्ति कर अधिनियम में संशोधन कर 180000 से अधिक वार्षिक आय वाले सभी कर्मचारियों अधिकारियों को रूपये 2500 वार्षिक वृत्ति कर देना होता है। 180000 से कम वार्षिक आय वाले कर्मचारियों को वृत्ति कर से छूट दी गई है। मध्यप्रदेश ही एक ऐसा राज्य है जहा चपरासी और आईएएस अधिकारी दोना 2500 रूपये वार्षिक वृत्ति कर देते है।
प्रदेश में सातवा वेतनमान लागू हो गया है जिससे कर्मचारियों की न्यूनतम आय 180000 से अधिक हो गई है इस कारण अब किसी भी कर्मचारी को वृत्ति कर से छूट का लाभ नही मिलेगा। कर्मचारी संगठन ने कहा कि सरकार चुनावी घोषणा पत्र में किये गये वादे को निभाये ओर वृत्ति कर समाप्त करें क्योंकि उत्तरप्रदेश राजस्थान सहित अनेक राज्यों में कर्मचारी अधिकारी की आय पर वृत्ति कर नही लगता है।
यदि राज्य सरकार वादा नही निभा सकती तो आय सीमा कीर रेंज बढाये ताकि कम वेतन पाने वाले कर्मचारियों को वृत्ति कर से छूट मिल सकें। साथ ही 1995 एवं 1999 के समान वृत्ति कर का सलैव बनाये ताकि ज्यादा वेतन पाने वाले अधिकारी कर्मचारी ज्यादा वृत्ति कर दे और कम वेतन पाने वाले अधिकारी कर्मचारी कम वृत्ति कर दें।
वृत्ति कर की 1995 से लागू दरें
40000 आय तक कुछ नही
40000 आय से 50000 तक 360
50000 आय से 60000 तक 720
60000 आय से 80000 तक 1080
80000 आय से 100000 तक 1800
100000 से अधिक 2100
वृत्तिकर की 1999 से लागू दरें
120000 से कम वार्षिक आय निल
120000 से 150000 तक वाषिक आय 1000 रूपये वार्षिक
150000 से 180000 तक वार्षिक आय 1500 रूपये वार्षिक
180000 एवं अधिक वार्षिक आय 2500 रूपये वार्षिक
वृत्तिकर की 2013 से लागू दरें
180000 रूपये से अधिक वार्षिक आय कुछ नही
180000 रूपये से अधिक वार्षिक आय 2500 रूपये वार्षिक
7वें वेतनमान के बाद चपरासी का वेतन भी 180000 से ज्यादा हो गया अत: इस नियम के अनुसार चपरासी से लेकर कलेक्टर तक सबको 2500 रुपए टैक्स देना होगा।