
हाईकोर्ट ने मस्जिद समिति से कहा है कि यदि वह चार सप्ताह के भीतर मस्जिद बनाने के लिए वैकल्पिक स्थान हेतु जिला प्रशासन को प्रत्यावेदन देती है तो उस पर सहानुभूति पूर्वक विचार किया जाए। डीएम को ऐसे प्रत्यावेदन पर आठ सप्ताह में निर्णय लेने के लिए कहा है।
मस्जिद का प्रबंध करने वाली समिति को मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले और न्यायमूर्ति एमके गुप्ता की पीठ ने यह भी आदेश दिया है कि मस्जिद के साथ हाईकोर्ट लिखना तत्काल बंद कर दिया जाए। भविष्य में किसी भी स्तर पर या दस्तावेज में इस मस्जिद को हाईकोर्ट के नाम के साथ जोड़कर प्रस्तुत नहीं किया जाएगा। वर्तमान समय में उस मस्जिद को ‘हाईकोर्ट मस्जिद’ के नाम से जाना जाता है।
पीठ ने महानिबंधक को निर्देश दिया है कि भविष्य में इलाहाबाद या लखनऊ खंडपीठ में कहीं पर भी किसी भी प्रकार की धार्मिक गतिविधि की अनुमति किसी को भी न दी जाए। मस्जिद समिति को हाईकोर्ट की बिल्डिंग से छह मीटर तक की जमीन दो सप्ताह में खाली करने के लिए कहा है।
महाधिवक्ता कार्यालय के ठीक बगल में हाईकोर्ट की नई निर्माणाधीन बिल्डिंग के पीछे के हिस्से में बनी मस्जिद जिसे ‘हाईकोर्ट मस्जिद’ कहा जाता है को अवैध कब्जा बताते हुए अधिवक्ता अभिषेक शुक्ल ने जनहित याचिका दाखिल की थी। कहा गया कि जमीन के मूल रिकॉर्ड में इस पर मस्जिद का कोई वजूद नहीं था। शुरू में कुछ लोग यहां नमाज पढ़ते थे बाद में धीरे-धीरे अवैध कब्जा कर मस्जिद बना ली गई।