2जी घोटाला: मनमोहन की CBI ने केस दर्ज किया था, मोदी की CBI सबूत पेश नहीं कर पाई | national news

नई दिल्ली। सीबीआई पर राजनीति के दवाब में काम करने के आरोप लगते रहे हैं। 2G स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में कोर्ट का फैसला आने के बाद एक बार फिर सीबीआई निशाने पर है। सोशल मीडिया में तरह तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि जिस 2G स्पेक्ट्रम घोटाले का शोर मचाकर भाजपा ने कांग्रेस से सत्ता हथियाई वो तो हुआ ही नहीं था। बता दें कि मनमोहन सिंह सरकार के समय सीबीआई ने केस फाइल किया था। नरेंद्र मोदी सरकार के समय ट्रायल चला और सीबीआई सबूत पेश ​नहीं कर पाई। इसी के चलते घोटाले में नामजद किए गए सभी आरोपी दोषमुक्त करार दे दिए गए। याद दिला दें कि ऐजेन्सियों के अनुसार यह 1.76 लाख करोड़ रुपए का घोटाला था। 

नई दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट की सीबीआई विशेष अदालत ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और डीएमके राज्यसभा सांसद कनिमोई समेत 17 आरोपियों को बरी कर दिया है। सीबीआई ने कहा कि इसम मामले में हम सीबीआई के फैसले की कॉपी का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद ही कोई फैसला लेंगे। दरअसल कोर्ट ने तीन मामलों की सुनवाई की है, जिसमें दो सीबीआई और एक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का है। 

कौन कौन थे आरोपी 
पहले सीबीआई केस में पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा के अलावा डीएमके के राज्यसभा सांसद कनिमोई, पूर्व टेलीकॉम सचिव सिद्धार्थ बेहुरा, ए. राजा के तत्कालीन निजी सचिव आरके चंदौलिया, स्वान टेलीकॉम के प्रमोटर शाहिद उस्मान बलवा, विनोद गोयनका, यूनिटेक कंपनी के एमडी संजय चंद्रा, कुशेगांव फ्रूटस एंड वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड के आसिफ बलवा व राजीव अग्रवाल, कलाईगनार टीवी के निदेशक शरद कुमार और सिनेयुग फिल्म्स के करीम मोरानी के अलावा रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप के वरिष्ठ अधिकारी गौतम जोशी, सुरेंद्र पिपारा, हरि नैयर आरोपी हैं. इसके अलावा तीन कंपनियों स्वान टेलीकॉम लिमिटेड, रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड और यूनिटेक वायरलेस (तमिलनाडू) को भी आरोपी बनाया गया था।

अक्टूबर 2011 में कोर्ट ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम से लेकर आपराधिक षडयंत्र, धोखाधड़ी, फर्जीवाडा, फर्जी कागजात बनाने, पद का दुरुपयोग, सरकारी दुराचरण आदि के आरोप तय किए थे। अप्रैल 2011 में दाखिल चार्जशीट में सीबीआई ने कहा था कि '2जी स्पेक्ट्रम से जुड़े 122 लाइसेंस गलत तरीके से आवंटित किए गए, जिससे सरकारी खजाने को 30,984 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2012 में सभी लाइसेंस रद्द कर दिए थे।

सीबीआई ने 154 गवाहों के बयान दर्ज कराए
कोर्ट ने सीबीआई की ओर से 154 गवाहों के बयान दर्ज किए, जिनमें अनिल अंबानी, उनकी पत्नी टीना अंबानी और नीरा राडिया शामिल हैं। ये करीब 4400 पेज के हैं। इन मामलों में छह महीने से लेकर उम्रकैद की सजा तक का प्रावधान था। सीबीआई के दूसरे मामले में एस्सार ग्रुप के प्रमोटर रवि रुइया व अंशुमान रुइया, लूप टेलीकॉम के प्रमोटर किरण खेतान व उनके पति आईपी खेतान और एस्सार ग्रुप के निदेशक विकास श्राफ शामिल हैं। चार्जशीट में लूप टेलीकॉम लिमिटेड, लूप इंडिया मोबाइल लिमिटेड और एस्सार टेली होल्डिंग लिमिटेड कंपनियां भी आरोपी हैं।

ईडी ने भी पेश किया था तीसरा मामला
तीसरे मामले में ईडी ने अप्रैल 2014 में ए राजा, कनिमोई, शाहिद बलवा, आसिफ बलवा, राजीव अग्रवाल, विनोद गोयनका, करीम मोरानी और शरद कुमार समेत 19 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें ईडी ने डीएमके चीफ करूणानिधि की पत्नी दयालु अम्मल को भी नामजद किया था। आरोप था कि स्वान टेलीकॉम से 200 करोड़ रुपये डीएमक के कलाईगनार टीवी को दिए गए। ईडी ने इस मामले में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट (PMLA) के प्रावधान के तहत मामला दर्ज किया था।

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