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बता दें कि राज्य सरकार ने 2013 में विधानसभा चुनाव के ठीक पहले प्रदेश में संविदा शाला शिक्षकों की भर्ती की घोषणा की थी। भर्ती नियम तैयार करते-करते चुनाव भी हो गए। इसके बाद से सरकार दो बार नियम जारी कर चुकी है। प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (पीईबी) 3 बार परीक्षा की संभावित तारीखें घोषित कर चुका है, लेकिन भर्ती नहीं हो रही।
इस बीच शिक्षकों के रिक्त पद 22 हजार से बढ़कर 41 हजार तक पहुंच गए। फिर वित्त विभाग ने आपत्ति दर्ज कराई तो 9560 पद कम कर दिए गए। अब बताया जा रहा है कि करीब 40 हजार पदों के लिए भर्ती की जाएगी ताकि चुनाव में फायदा मिल सके। महिलाओं के थोकबंद वोट के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का ऐलान कर दिया गया है।
75 हजार अतिथियों को भी साधना है
सरकार 10 साल से सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे 75 हजार अतिथि शिक्षकों को भी खुश करना चाहती है। उन्हें संविदा शाला शिक्षक भर्ती परीक्षा में बोनस अंक दिए जाएंगे। माना जा रहा है कि कुल रिक्त पदों का 15 प्रतिशत अतिथि शिक्षकों के बोनस अंक के कारण भर जाएगा। ऐसी स्थिति में वो तमाम उम्मीदवारों की उम्मीदों पर पानी फिर गया जो ना तो अतिथि शिक्षक हैं और ना ही महिला लेकिन परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। उनके लिए अब मात्र 35 प्रतिशत सीटें रिक्त रह गईं हैं जिसमें आरक्षण के नियम भी लागू होंगे।