
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। लोग यह जानने को उत्सुक हैं कि आखिर दिग्विजय सिंह जैसा व्यक्ति 6 माह तक राजनीति से अवकाश लेकर पैदल परिक्रमा क्यों कर रहा है। वो घोषित कर चुके हैं कि यह उनकी धार्मिक यात्रा है परंतु लोग मानने को तैयार ही नहीं कि दिग्विजय सिंह इसका राजनैतिक लाभ नहीं उठाएंगे। इसके पीछे छुपे राज को जानने की उत्सुकता इतनी अधिक है कि भाजपा और सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपने जासूस दिग्विजय सिंह के पीछे लगा रखे हैं। डेली रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है। कौन आया, कैसे मिला, कितनी देर रुका। लोगों का रेस्पांस कैसा है। हर स्त पर वर्गीकरण किया जा रहा है।
नर्मदा परिक्रमा में दिग्विजय सिंह चुप हैं फिर भी शोर बहुत तेज हो रहा है। अपने राम का मानना है कि इसके पीछे दिग्विजय सिंह का एक लक्ष्य अपनी पहचान बदलना भी है। आरएसएस का विरोध करने के कारण उन्हे हिंदू विरोधी माना जाता है परंतु पैदल नर्मदा परिक्रमा के बाद कोई उन पर इस तरह के सवाल नहीं उठा पाएगा। इस स्तर के राजनेता की 6 माह तक पैदल परिक्रमा का देश में कोई दूसरा उदाहरण नहीं है। परिक्रमा के बाद उनका हिंदू अवतार दिखाई देगा। उनके बयानों में शास्त्रों के श्लोक होंगे और वो कट्टर हिंदूवाद का विरोध हाथ में भगवा थामकर करेंगे। नवम्बर 2018 में मप्र के विधानसभा चुनाव भी हैं। यदि नर्मदा परिक्रमा की सहानुभूति दिग्विजय सिंह को मिल गई तो क्या कुछ नहीं हो जाएगा, यह बताने की जरूरत नहीं।