जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर में रविवार को कर्मचारियों का सैलाब उमड़ा। प्रदेश भर से सरकारी कर्मचारी अपनी सात सूत्री मांगों को लेकर जयपुर में जुटे। यहां आक्रोश रैली के जरिए कर्मचारियों ने हुंकार भरी और मांगें नहीं माने जाने पर आगामी चुनाव में भाजपा की वसुंधरा राजे सरकार को सबक सिखाने की चेतावनी भी दी। सातवें वेतनमान के एरियर और वेतन कटौती जैसे मसलों को लेकर प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों में गहरा आक्रोश है। अपना आक्रोश जाहिर करने के लिए प्रदेश भर से कर्मचारी राजधानी जयपुर में जुटे।
यहां कर्मचारियों ने रामनिवास बाग से सिविल लाइन्स फाटक तक विशाल रैली निकालकर अपनी मांगों को बुलन्द किया। सिविल लाइन्स फाटक पर हुई सभा में कर्मचारी संगठनों ने सरकारी फैंसलों की कड़े शब्दों में आलोचना की और अपनी सात सूत्री मांगें नहीं माने जाने पर सरकार को चुनावी मैदान में सबक सिखाने की चेतावनी भी स्पष्ट शब्दों में दी।
सातवें वेतनमान का एरियर एक जनवरी 2017 से दिये जाने की शनिवार को की गई घोषणा को कर्मचारी संगठनों ने सिरे से खारिज किया और केन्द्र सरकार की तर्ज पर एक जनवरी 2016 से एरियर के भुगतान की मांग रखी। अपनी रैली को पूरी तरह सफल बताते हुये कर्मचारी नेताओं ने कहा कि सरकार को कर्मचारी संगठनों के साथ आमने-सामने बैठकर कर्मचारियों की मांगों पर समझौता करना चाहिये और अपनी एकजुटता के जरिये कर्मचारी सरकार को इसके लिये बाध्य कर देंगे।
गौरतलब है कि अपनी मांगों को लेकर प्रदेश के विभिन्न कर्मचारी संगठन एक जाजम पर आये हैं और एक संयुक्त संघर्ष समिति का गठन कर उसके तले सामूहिक रूप से आन्दोलन चलाया जा रहा। संयुक्त संघर्ष समिति में करीब 60 कर्मचारी संगठन शामिल हैं जो अपनी इन सात सूत्री मांगों को लेकर अपनी आवाज बुलन्द कर रहे हैं।
कर्मचारी नेताओं का कहना है कि कर्मचारी अब जो कदम उठायेंगे वह राज्य सरकार को भारी पड़ेगा। उधर एरियर को लेकर सरकार द्वारा शनिवार को की गई घोषणा के बाद कर्मचारी धड़ों की खींचतान भी खुले तौर पर सामने आ रही है। रैली और सभा में कर्मचारी नेताओं ने उन कर्मचारी संगठनों और कर्मचारी नेताओं पर खुले तौर पर निशाना साधा जो सरकार के सामने नरम रुख दिखा रहे हैं।
आक्रोश रैली में हालांकि उस तादाद में तो कर्मचारी नहीं जुटे जितना संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा दावा किया गया था, लेकिन जितनी भी भीड़ इस आक्रोश रैली में उमड़ी वह सरकार की चिन्ता बढ़ा देने के लिये काफी है। अपनी मांगों को लेकर सख्त रुख पर अड़े कर्मचारी आर-पार की लड़ाई की बात कह रहे हैं जो चुनावी साल में सरकार के लिये भारी पड़ सकती है।
ये हैं मांगें
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें केन्द्र सरकार के अनुरूप 1 जनवरी 2016 से लागू की जायें और एरियर का नकद भुगतान किया जाये।
मूल वेतन कटौती प्रस्ताव को निरस्त कर मूल वेतन के आधार पर ही पे-मैट्रिक्स निर्धारित की जाये।
सातवें वेतन आयोग के सम्बन्ध में जारी अधिसूचना में संशोधन कर पे-मैट्रिक्स केन्द्र सरकार के समान की जाये.
2004 के बाद नियुक्त राज्य कर्मचारियों के लिये नवीन पेंशन योजना की जगह पुरानी पेंशन योजना लागू की जाये.
सुराज संकल्प पत्र में कर्मचारी कल्याण के लिये की गई घोषणायें और चुनावी वायदे पूरे किये जायें.
न्यायालयों द्वारा कर्मचारियों के हित में दिये गये सभी निर्णयों की पालना सुनिश्चित की जाये.
प्रदेश में पी.पी.पी., ठेका प्रथा, निजीकरण और पदों की कटौती बंद की जाये.