भोपाल। मध्य प्रदेश में पिछले ढाई साल में हुईं 63 हजार 107 शिशुओं की मौत पर विवाद शुरू हो गया है। सरकार का दावा है कि ये सभी मौतें कम वजन, संक्रमण, डायरिया और निमोनिया के साथ अन्य कारणों से हुईं हैं। जबकि पूर्व सीएम बाबूलाल गौर कहते हैं कि इतनी बड़ी संख्या में शिशुओं की मौत के पीछे सबसे बड़ी वजह कुपोषण है। उन्होंने सरकार को सलाह दी है कि आंगनबाड़ी केंद्रों में दिया जाने वाला खाद्य पदार्थ खराब होता है। इसलिए उसमें सुधार किया जाए। साथ ही भोजन में दूध, दही और अंडे को शामिल किया जाए। इससे बच्चों को कुपोषण से बचाया जा सकता है। साथ ही उन्हें संक्रमण से भी बचाया जा सकेगा।
कुपोषण के बढ़ते मामलों पर पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता बाबूलाल गौर ने शिवराज सरकार पर विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही निशाना साधा था। कुपोषण का मामला उठाते शिवराज सिंह सरकार पर सवाल खड़े करते हुए गौर ने पूछा था कि श्योपुर जिले में वर्ष 2015 और 2016 में कुपोषण से किस-किस माह में कितनी मौतें हुई हैं? क्या कुपोषित बच्चे और गर्भवती महिलाओं का सर्वे कराया गया? कुपोषितों की अलग-अलग संख्या बताई जाए।
गौर के इस सवाल पर महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनिस ने जवाब दिया लेकिन बाबूलाल गौर मंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने कहा था कि कुपोषण से हुई मौत के आंकड़े गलत पेश किए जा रहे हैं। बाबूलाल गौर ने कहा कि मामले की दोबारा जांच होनी चाहिए। इस पर मंत्री अर्चना चिटनिस ने उन्हें भरोसा दिलाया कि सरकार मामले की दोबारा जांच कराएगी।