
4 दिसंबर से पूरे राज्य में तकरीबन 80 हजार कॉन्ट्रैक्ट पर बहाल स्वास्थ्य कर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। हड़ताली स्वास्थ्यकर्मियों की मांग है कि उन्हें स्थाई स्वास्थ्यकर्मियों की तरह समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए और उनकी सेवाएं भी स्थाई की जाए। कॉन्ट्रैक्ट पर बहाल स्वास्थ्यकर्मी जो अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है उनमें हेल्थ मैनेजर, फार्मासिस्ट, ओटी असिस्टेंट, टेक्नीशियन, डाटा ऑपरेटर और काउंसलर शामिल है. कॉन्ट्रैक्ट पर बहाल स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल पर जाने से पूरे राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरीके से चरमरा गई है।
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन ने जिलाधिकारी और सिविल सर्जनों को जो पत्र लिखा है उसमें साफ तौर पर कहा गया है कि कॉन्ट्रैक्ट पर बहाल स्वास्थ्य कर्मियों ने सेवा शर्त का उल्लंघन किया है और इस अनुशासनहीनता की वजह से उनकी सेवाएं समाप्त की जाए।
बिहार सरकार के कड़े रुख के बाद हड़ताली स्वास्थ्य कर्मियों ने भी कड़े तेवर दिखलाएं हैं और धमकी दी है कि आने वाले दिनों में अपने आंदोलन को बहुत उग्र बनाएंगे। स्वास्थ्य कर्मियों ने यह भी धमकी दी है कि अगर राज्य सरकार ने उनकी मांगे जल्द नहीं मानी तो वह आत्मदाह भी कर सकते हैं।
स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई
गौरतलब है कि 80 हजार कॉन्ट्रैक्ट पर बहाल स्वास्थ्य कर्मियों के एक साथ हड़ताल पर चले जाने से राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल से सबसे ज्यादा प्रभावित पटना का पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल तथा नालंदा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल है जहां पिछले 3 दिनों में स्वास्थ्य कर्मियों की गैर मौजूदगी की वजह से कई मरीजों का ऑपरेशन रद्द करना पड़ा है।