मंडला। अध्यापकों को देय छठवें वेतनमान में लगातर विसंगति के चलते और हर बार जारी गणना पत्रक में अध्यापकों को लाभ की जगह नुकसान होने से हताश और निराश अध्यापकों ने छठवें वेतन मान को विसंगति और घाटे के साथ लेने का मन बना लिया था लेकिन मंडला जिले के अध्यापकों द्वारा हाई कोर्ट में दायर याचिका के चलते छठवें वेतनमान की विसंगतियो और हो रहे नुकसान को ठीक कराने का मामला गरमाया जिसके चलते ही एक बार फिर गणना पत्रक में मार्ग दर्शन जारी हुआ है।
छठवें वेतनमान के गणना पत्रक में सुधार निश्चित ही राहत भरा है। यद्दपि अभी भी इसमें विसंगतियां है। 6 वर्ष से अधिक की सेवा अवधि को पूर्ण वर्ष न मानना। ग्रीन कार्ड धारियों का लाभ समाप्त करना। 1998 और 2003 में नियुक्त अध्यापकों का वेतन एक समान होना। 2006 और 2009 के अध्यापकों के वेतन में विसंगति शामिल है।
अध्यापक संघ के जिला शाखा अध्यापक डी के सिंगौर ने बताया कि छठवें वेतनमान में इतनी गम्भीर गड़बड़ियां थीं कि जिसके चलते गणना पत्रक में बिना संशोधन किये सरकार कोर्ट में कोई जवाब पेश नही कर सकती थी। जिला शाखा अध्यक्ष के अनुसार 2007 से छठवां वेतनमान मिलने और बची विसंगति दूर होते तक कोर्ट की लड़ाई जारी रहेगी। कोर्ट में याचिकाकर्ताओं का कहना है कि छठवें वेतनमान का लाभ नियम से दिया जाये न कि सर्कुलर के आधार पर।