
मध्यप्रदेश में 2.84 लाख अध्यापक चार विभागों के अधीन काम कर रहे हैं। इन्हें सरकारी कर्मचारी का दर्जा नहीं है। ये नगरीय, पंचायती निकायों और आदिम जाति कल्याण विभाग के अधीन हैं। स्कूल शिक्षा विभाग इनके लिए नियम बनाता है, इनकी निगरानी करता है और इनके विरुद्ध कार्रवाई भी करता है परंतु ये शिक्षा विभाग के कर्मचारी नहीं हैं।
संविलियन की मांग को लेकर अध्यापकों के संगठन पिछले दस साल में 25 से ज्यादा आंदोलन कर चुके हैं। शासन इनके लिए सम्मेलन बुलाने की भी तैयारी कर रहा है। गुरुवार रात सीएम हाउस में मीटिंग हुई। इसमें राज्य कर्मचारी कल्याण समिति के चेयरमैन रमेशचंद्र शर्मा, खनिज विकास निगम के अध्यक्ष शिव चौबे समेत स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे।