सेंट्रल डेस्क। पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'नीच आदमी' कहकर गुजरात चुनाव की हवा ही बदल दी। कांग्रेस की बढ़त थम गई और भाजपा को मौका मिल गया। सवाल यह है कि क्या मणिशंकर अय्यर ने सचमुच गलती से 'नीच आदमी' शब्द का उपयोग किया था या इसके पीछे कोई साजिश है। कहीं ऐसा तो नहीं कि मणिशंकर अय्यर गांधी परिवार से नफरत करते हैं और यह बयान उन्होंने एक साजिश के तहत राहुल गांधी का ग्राफ गिराने के लिए दिया था। संदेह यह भी जताया जा सकता है कि कहीं मणिशंकर अय्यर का भाजपा के साथ कोई गोपनीय समझौता तो नहीं। जिसके चलते वो बार बार भाजपा को फायदा पहुंचाने वाले बयान देते हैं।
मणिशंकर अय्यर की निष्ठा पर संदेह क्यों
मणिशंकर अय्यर ने यह बयान उस समय दिया जबकि गुजरात मेें विधानसभा चुनाव अपने अंतिम पड़ाव पर है। भाजपा कितनी परेशान है यह बताने की जरूरत नहीं। जिस नरेंद्र मोदी के सहारे पूरे देश में भाजपा की सत्ता स्थापित करने का सपना देखा जाता है, वही नरेंद्र मोदी अपने गुजरात में प्रभावी साबित नहीं हो पा रहे हैं। उन्होंने अपनी मदद के लिए पूरे देश भर से भाजपा नेताओं को गुजरात बुला लिया है। बावजूद इसके जब राहुल गांधी सफलतापूर्वक आगे बढ़ते रहे तो अचानक मणिशंकर अय्यर का यह बयान आ गया और इस बयान ने चुनाव की हवा बदल दी।
गांधी परिवार से नफरत का आरोप क्यों
मणिशंकर अय्यर एक भूतपूर्व भारतीय राजनयिक हैं जिन्हे राजीव गांधी विदेश सेवा से इस्तीफा दिलाकर 1989-1991 में सक्रिय राजनीति में लाए थे। इसी कारण उन्हे कांग्रेस में वजन भी मिलता है लेकिन राजीव गांधी के बाद उनकी पटरी सोनिया गांधी के साथ कुछ अच्छी नहीं जमीं। राहुल गांधी से तो वो इतनी नफरत करते हैं कि सार्वजनिक दिख जाती है। हिमाचल प्रदेश के कसौली में पूर्व पेट्रोलियम मंत्री ने कहा था कि 'कांग्रेस अध्यक्ष या तो मां बनेगी या फिर बेटा। जब कोई प्रत्याशी है ही नहीं तो अध्यक्ष बनने के लिए चुनाव कैसे होंगे। उन्होंने कहा कि मां बेटे के रहते कांग्रेस में किसी का भला नहीं हो सकता।
कांग्रेस के अध्यक्ष बनना चाहते हैं अय्यर
हिमाचल प्रदेश के कसौली में मणिशंकर अय्यर ने कहा था कि पार्टी में बेशक मुझे अनदेखा किया जा रहा है, लेकिन मैं जन्मजात कांग्रेसी हूं और रहूंगा। तमिलनाडु से कांग्रेस का सदस्य बना हूं और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का चुनाव लडूंगा। हार-जीत की परवाह नहीं, लेकिन मुकाबला अवश्य करूंगा।
बयानों में साजिश कैसी
- 2014 में लोकसभा चुनाव की शुरूआत से ही मणिशंकर अय्यर ने कुछ इस तरह के बयान देना शुरू किए जो भाजपा को फायदा पहुंचाते हैं।
- दिसंबर 2013 में अय्यर ने नरेंद्र मोदी को 'जोकर' बताया था और कहा था कि उन्हें न इतिहास पता है, न अर्थशास्त्र और न ही संविधान की जानकारी है। जो मुंह में आता है, बोलते रहते हैं। इस बयान के कारण भाजपा में नरेंद्र मोदी के प्रति लामबंदी हुई और वो पीएम कैंडिडेट बने।
- 2014 के चुनाव से ऐन पहले भी अय्यर ने मोदी को चायवाला कहकर बुलाया था। मणिशंकर के 'चायवाला' शब्द को भाजपा ने लपका और चुनावी मुद्दा बना दिया। लोगों ने मणिशंकर के कारण कांग्रेस से नफरत की ओर मोदी के प्रति सहानुभूति बढ़ी। लोकसभा चुनाव में 'चायवाला' भाजपा का सबसे बड़ा कैंपेंन था।
- भारत में मोदी सरकार बनने के बाद जब विकास और रोजगार के मुद्दे पर मोदी सरकार का घेराव हो रहा था तब मणिशंकर ने पाकिस्तानी टीवी चैनल पर साक्षात्कार के दौरान सुझाव दिया कि मोदी को हटा दो, फिर देखो भारत पाकिस्तान के बीच कैसी शांति स्थापित होती है। इस बयान ने भारतीयों में कांग्रेस के प्रति नफरत बढ़ाई और मोदी के प्रति सहानुभूति। इस विवाद में रोजगार का मुद्दा हवा हो गया।
- और अब गुजरात चुनाव से पहले जब कांग्रेस मजबूत स्थिति में आ रही थी तब 'नीचे आदमी' वाला बयान दे दिया। गुजरात चुनाव के दौरान इससे पहले मणिशंकर ने कुछ नहीं कहा था।
बता दें कि कांग्रेस में पहले नाराज नेता पार्टी छोड़कर नया संगठन बना लिया करते थे परंतु पिछले कुछ सालों में यह परंपरा बदल गई है। अब नेता पार्टी छोड़कर नया संगठन नहीं बनाते बल्कि कांग्रेस में रहते हुए उसे बर्बाद करते हैं। पार्टी हित के फैसलों में टांग अड़ाते हैं और जब जब पार्टी को सफलता मिलने वाली होती है तो विवाद पैदा कर देते हैं। यह भी सब जानते हैं कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी में इतनी हिम्मत नहीं है कि वो इंदिरा गांधी की तरह वरिष्ठ नेताओं पर कड़ी कार्रवाई कर सकें। इसलिए उन्हे किसी बात का डर भी नहीं होता।