आनंद ताम्रकार/बालाघाट। जिला मुख्यालय बालाघाट से 7 किलोमीटर दूर खैरी ग्राम में स्थित पटाखा फैक्ट्री में 7 जून 2017 को लगभग शाम 4 बजे हुये विस्फोट में 22 श्रमिक जिंदा जल गये थे और 9 लोग गंभीर रूप से घायल हो गये थे उनमें से 4 लोगों की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। इस घटनाक्रम के लिये जबलपुर संभाग के संभाग आयुक्त गुलशन बामरा ने तत्कालीन कलेक्टर भरत यादव द्वारा 19 जून को प्रेषित प्रतिवेदन के आधार पर तत्कालीन अपर कलेक्टर जिला पंचायत सीईओ तथा प्रभारी कलेक्टर मंजूषा विक्रांत राय को अपने पदीय कार्यो के प्रति लापरवाही बरतने के लिये जिम्मेदार मानते हुये 27 नंवबर को नोटिस जारी कर उनसे 10 दिन के अंदर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया गया निश्चित समयावधि में समाधान कारक जवाब ना मिलने की स्थिति में एक पक्षीय कार्यवाही की जायेगी।
यह उल्लेखनीय है कि तत्कालीन कलेक्टर श्री भरत यादव ने अपने जांच प्रतिवेदन में तत्कालीन अपर कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ तथा प्रभारी कलेक्टर मंजूषा विक्रांत राय एवं एसडीएम कामेश्वर चौबे, तहसीलदार एस आर वर्मा, उपयंत्री विद्युत विभाग तथा श्रम निरीक्षक के विरूद्ध अपने कर्तव्यों के प्रति लापरवाही बरतने का दोषी पाते हुये कमिश्नर गुलशन बामरा को जांच प्रतिवेदन प्रेषित किया था। जिसके आधार पर कमिश्नर ने मंजूषा विक्रांत राय को उक्त नोटिस जारी किया है।
यह उल्लेखनीय है कि पटाखा फैक्ट्री संचालक द्वारा नियमों को ताक में रखकर पटाखे बना रहा था लेकिन जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों को पटाखा फैक्ट्री के संचालन के लिये आवश्यक कायदे कानून की जानकारी नही थी। फैक्ट्री में हुये विस्फोट के बाद प्रशासन को कायदे कानून खंगालने पडे़। नियमों की आनदेखी उस समय उजागर हुई जब विस्फोट नियंत्रण विभाग के प्रमुख सुबोध शुक्ला ने अधिकारियों को नियमों के बारे में अवगत कराया।
विस्फोटक नियंत्रण अधिनियम के तहत 15 किलोग्राम लाईसेंस की क्षमता वाली पटाखा फैक्ट्री में मात्र 14 मजदूर ही काम कर सकते है लेकिन खैरी में हुये विस्फोट में सामने आये तथ्यों के आधार पर 5 किलोग्राम की क्षमता वाली इस फैक्ट्री में 40 से अधिक मजदूर काम कर रहे थे। नियमानुसार ना तो भवन का निर्माण किया गया था ना ही मजदूरों से काम कराया जा रहा था। इस दुष्परिणाम स्वरूप, अधिकारियों की लापरवाही के चलते 26 लोगों की जान चली गई और 2 लोग अभी भी जीवन और मौत से संघर्ष कर रहे है।
कमिश्नर जबलपुर संभाग द्वारा जारी किये गये नोटिस में मंजूषा विक्रात राय पर लगाये गये आरोपों में यह उल्लेखित है कि तत्कालीन अपर कलेक्टर मजूंषा राय के कार्यकाल में वाहिद अहमद पिता सगीर अहमद वार्ड क्रं.2 भटेरा चौकी बालाघाट निवासी को ग्राम खैरी में अतिशबाजी विनिर्माण अनुज्ञप्ति के नवीनीकरण किये जाने के आवेदन पत्र पर एसपी बालाघाट और एसडीएम बालाघाट के जांच प्रतिवेदन, अनापत्ति प्रमाण पत्र के आधार पर ही बिना स्थल निरीक्षण किये स्वीकृत पटाखा विनिर्माण अनुज्ञप्ति का 5 वर्ष के लिये नवीनीकरण किये जाने के लिये जिला दण्डाधिकारी को प्रस्तावित किया गया था।
प्राप्त प्रतिवेदनों का सूक्ष्म परीक्षण और स्वयं के द्वारा परिसर का स्थल निरीक्षण किया जाता तो यह घटना नही होती। वहीं समय समय पर विस्फोटक अधिनियम 1884, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 1908, विस्फोटक अधिनियम 2008 में जारी निर्देशों का पालन किये जाने के संबंध में और शासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन प्रतिवेदन एसपी तथा एसडीएम से प्राप्त कर त्रैमासिक जानकारी शासन को नही भेजी गई। जिसके कारण विपरित परिस्थिति हुई हैं। जिसे कमिश्नर श्री गुलशन बामरा ने अपर कलेक्टर मंजूषा विक्रात राय को जिम्मेदार माना है।
फटाका फैक्ट्री के संचालन हेतु निर्धारित मापदंड
1. फटाका फैक्ट्री के संचालन हेतु आवश्यक है 5 पृथक पृथक कमरे।
2. प्रत्येक कमरे के बीच 15 मीटर की दूरी रहनी चाहिये।
3. हर कमरे में निर्धारित है मजदूरों की संख्या।
4. एक कमरे में 5 से अधिक मजदूर काम नही कर सकते।
5 निर्माण कक्ष में 4 दरवाजे होना जरूरी है।
6. प्रवेश के लिये 2 कमरे और एक इमरजेंसी दरवाजा तथा एग्जिट फायर होना जरूरी है।
ऐसी होनी थी जांच
विस्फोटक निमयों के अनुरूप लाईसेंस जारी करने के पूर्व डाईग का अवलोकन कर बारूद के भण्डारन तैयार पटाखों के भण्डारन की क्षमता का उल्लेख किया जाना चाहिये। इस आधार पर किसी भी घटना की स्थिति में तकनीकी आधार पर प्रारंभिक जांच में ही लापरवाही दिखाई देती है। कमरे अलग अलग होने पर जनहानि में कमी होती और नियत्रंण के उपाये आसानी से किये जा सकते। अनुविभागी स्तर के प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों को हर 6 माह में तकनीकी मापदण्डों का नियमित निरीक्षण किया जाना चाहिये।
अनदेखी क्या हुई
फटाका फैक्ट्री का डाईग देखकर लाईसेंस जारी कर दिया गया।
मौके पर जाकर मुआयना नही किया गया।
लाईसेंस जारी करने के बाद विस्फोटक नियंत्रण विभाग को जानकारी नही दी गई।
लाईसेेंसधारी द्वारा नियमों की अनदेखी की गई।
प्रशासन द्वारा नियमों की जानकारी ना होने से उनका परिपालन नही हो सका।
कार्यस्थल का नक्शा नही मिला।
इन विसंगतियों के चलते 26 महिला पुरूष प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के चलते फटाका फैक्ट्री में जिंदा जल गये।