नई दिल्ली। झारखंड के बोकारों में भारत के सबसे बड़े बैंक STATE BANK OF INDIA की एडीएम बिल्डिंग ब्रांच में करोड़ों की चोरी हुई और 76 लोग (ACCOUNT HOLDERS) घर बैठे बर्बाद हो गए, क्योंकि चोर उनके BANK LOCKER साफ कर गए। इन लॉकर्स में कुल कितना माल था यह अभी तक पता नहीं चल पाया है। लोग रो-बिलख रहे थे। इनमें से कई ऐसे थे जिनकी जिंदगी भर की कमाई लॉकर में थी। मामले में बैंक की लापरवाही सामने आई है। लॉकर्स की SECURITY के कोई इंतजाम नहीं थे और बैंक ने किसी भी खाताधारक को कुछ भी मुआवजा देने से इंकार कर दिया है। अब सभी बैंक की सिक्युरिटी के इंतजाम को कोस रहे हैं।
एसबीआई की सुरक्षा घटिया थी
इस करोड़ों की चोरी की जांच करने सीआईडी के एडीजी प्रशांत सिंह बुधवार को बैंक पहुंचे। करीब आधे घंटे तक जायजा लिया और कहा- बैंक की सुरक्षा व्यवस्था लचर थी। बैंक लगातार तीन दिन बंद था तो पुलिस को इसकी सूचना देनी चाहिए थी, लेकिन बैंक अधिकारियों ने इसकी सूचना नहीं दी। प्रशांत सिंह ने कहा कि बैंक की उन्हीं शाखाओं में लॉकर रखे जाते हैं, जहां सुरक्षा के खास इंतजाम होते हैं। दीवार के साथ अंडरग्राउंड री-इन्फोर्समेंट होता है, ताकि उसे काटकर कोई अंदर न पहुंच सके, लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं है। ऐसी घटनाएं पहले जहां-जहां हुई हैं, उसकी सूची मंगाई जा रही है।
एडीजी के साथ बोकारो आईजी मुरारीलाल मीणा, डीआईजी कोयला क्षेत्र प्रभात कुमार और एसपी कार्तिक एस भी थे। इन अधिकारियों ने भी सुरक्षा में चूक की बात मानी। ऐसे में सवाल उठता है कि जब बैंक जिम्मेदार है तो फिर ग्राहक खामियाजा क्यों भुगते।
बैंक ग्राहकों के नुकसान की भरपाई नहीं करेगा
उधर, SBI की रीजनल मैनेजर रंजीता शरण सिंह ने पुलिस के आरोपों को सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा कि यह ट्रेजरी ब्रांच नहीं है, इसलिए यहां 24 घंटे गार्ड नहीं रहते। पुलिस को भी पता था कि बैंक में तीन दिन छुट्टी है, तो उन्होंने क्या किया। बैंक ग्राहकों के नुकसान की भरपाई नहीं कर सकता, क्योंकि हमें पता भी नहीं है कि किसका कितना नुकसान हुआ। अगर सभी 76 लॉकर धारक लिखकर देंगे कि कितनी संपत्ति चोरी हुई, तभी वास्तविक आंकड़ा देना संभव होगा।
सीबीआई जांच की मांग
बोकारो चैंबर ऑफ कॉमर्स, व्यावसायिक प्लॉट होल्डर्स वेलफेयर एसोसिएशन और रिटायर्ड इंप्लाइज एसोसिएशन ने सीबीआई जांच की मांग की है। कहा- एसबीआई लॉकर की एवज में ग्राहकों से हजारों रुपए रेंट वसूलती है। लाॅकर आवंटन के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट कराती है। लेकिन लॉकर की सुरक्षा के प्रति लापरवाही बरतती है। लोग अपने घरों में चोरी की संभावना के डर से बैंक में लॉकर लेते हैं। यदि बैंकों में लॉकर इसी तरह तोड़े जाने लगे तो फिर लोग बैंकों पर भरोसा ही क्यों करेंगे।