भिण्ड। कांग्रेस विधायक माखन जाटव की हत्या के मामले में आरोपी मध्य प्रदेश के सामान्य प्रशासन एवं आदिम जाति कल्याण मंत्री लाल सिंह आर्य बार बार बुलाए जाने के बावजूद कोर्ट में हाजिर नहीं हो रहे हैं। वो फरार नहीं हैं परंतु मप्र पुलिस उन्हे तलाश नहीं पा रही है। वारंटी मंत्री को कोर्ट की ओर से 7 बार बुलवाया गया परंतु मंत्री हाजिर नहीं हुए अंतत: कोर्ट ने आर्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। यदि अब भी मंत्री हाजिर नहीं हुए तो उन्हे फरार/भगोड़ा घोषित किया जा सकता है।
गवाह ने कहा: 50 लाख का लालच दिया है
विशेष न्यायाधीश योगेश कुमार गुप्ता की कोर्ट ने ये वारंट जारी किया। भिंड पुलिस द्वारा कोर्ट को ये बताया गया कि वे वारंट की तामिली नहीं करा पाई है। मंत्री अपने आवास पर मिल नहीं रहे हैं। लिहाजा अब कोर्ट ने मंत्री का गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इधर चश्मदीद गवाह ने कोर्ट में मंत्री की जमानत पर आपत्ति ली है। गवाह का आरोप है मंत्री के लोग उन्हें केस से हटने के लिए लगातार दबाव बना रहे हैं। साथ ही उन्हें 50 लाख रुपए का प्रलोभन भी दिया जा रहा है। इस मामले में कोर्ट ने पहले भी लाल सिंह आर्य को आरोपी बनाया था लेकिन हाईकोर्ट से लाल सिंह आर्य को राहत मिली थी जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।
क्या है मामला
कांग्रेस के तत्कालीन विधायक माखन जाटव की 2009 लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान भिंड जिले में हत्या हुई थी। माखन जाटव के परिजनों ने लालसिंह आर्य के खिलाफ कोर्ट में आवेदन दिया था। विधायक हत्याकांड में नारायण शर्मा, शेरा उर्फ शेर सिंह, पप्पू उर्फ मेवाराम, सेठी कौरव, गंधर्व सिंह, केदार सिंह, तेजनारायण शर्मा (मृत्यु हो चुकी), रामरूप सिंह गुर्जर को आरोपी बनाया गया था। हत्याकांड की जांच सीबीआई की भोपाल विंग ने भी की थी। सीबीआई ने अपनी जांच रिपोर्ट में मंत्री लाल सिंह आर्य का जिक्र नहीं किया था। जिसके बाद माखन हत्याकांड में फरियादी पक्ष के वकील रामप्रताप कुशवाह ने कोर्ट में धारा 319 के तहत आवेदन लगाकर मंत्री लाल सिंह आर्य को भी आरोपी बनाने के लिए आवेदन दिया था। इसके खिलाफ मंत्री हाईकोर्ट गए थे परंतु वहां से उन्हे राहत नहीं मिली। उम्मीद की गई थी कि मंत्री कानून का सम्मान करते हुए पहली पेशी में ही न्यायालय के सामने प्रस्तुत हो जाएंगे परंतु ऐसा नहीं हुआ।