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कॉमन फ्रेंडस से दोनों को मिलाया
दोनों ही बड़े खानदान से ताल्लुक रखते थे। पटौदी, भोपाल के नवाब परिवार से थे तो शर्मिला रवींद्रनाथ टैगोर के परिवार से। दोनों की पहली मुलाकात 1965 में हुई दिल्ली में। शर्मिला उन दिनों एक फिल्म की शूटिंग के सिलसिले में दिल्ली आई हुई थीं, उस समय जूनियर पटौदी भी वहीं थे। पटौदी इस समय टीम इंडिया के कप्तान भी थे। वह उस समय दुनिया के सबसे युवा कप्तान थे। इनकी मुलाकात दोनों के कॉमन फ्रेंडस के जरिए हुई।
4 साल तक चलती रही दिल जीतने की कोशिश
पहली नजर में शर्मिला, पटौदी को भा गई थीं लेकिन अभी उनके लिए आगे की राह आसान नहीं रही और उनका छोटा सा दिल जीतने में पटौदी को करीब 4 साल लग गए। यह क्रिकेटर एक नवाब खानदान का जवान वारिस था और बतौर भारतीय कप्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका था, लेकिन यह सब कुछ बंगाली नायिका का दिल जीतने के लिए पर्याप्त नहीं था।
फ्रिज गिफ्ट करके सोचा, हसीना मान जाएगी
जूनियर पटौदी ने शर्मिला टैगोर को इंप्रेस करने के लिए एक फ्रिज भी गिफ्ट किया जो उस समय काफी महंगा हुआ करता था और सिर्फ रईसों के घर की शान हुआ करता था, लेकिन उनका यह कीमती गिफ्ट भी किसी काम न आया और पटौदी को और पसीना बहाना पड़ा। 4 साल के लंबे प्रयास के बाद शर्मिला ने मंसूर अली खान पटौदी के प्रेम प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।
दोनों के घरवाले शादी के विरुद्ध थे
कहा जाता है कि शर्मिला जब भी पटौदी का मैच देखने जाती थीं तो वह उनका स्वागत छक्के से किया करते थे। कुछ साल तक रोमांस करने के बाद दोनों ने जब शादी करने का फैसला लिया तो यह बात उनके घरवालों को पसंद नहीं आई और दोनों के परिवारों ने इस शादी के लिए हरी झंडी देने से मना कर दिया। शर्मिला के माता-पिता नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी किसी नवाब से शादी करे। वहीं पटौदी के घरवाले नहीं चाहते थे कि उनके बेटे की शादी फिल्म में काम करने वाली किसी लड़की से हो।
शादी से पहले ही धर्म परिवर्तन करना पड़ा
लेकिन दोनों के प्यार में इतनी गहराई थी कि लंबे संघर्ष के बाद दोनों अपने-अपने घरवालों को मनाने में कामयाब हो ही गए। घर से हरी झंडी मिलने के बाद शर्मिला को शादी से पहले अपना धर्म परिवर्तन करना पड़ा और वह शर्मिला से आयशा सुल्ताना हो गईं। फिर वो दिन आ गया जब दोनों एक-दूजे के हो गए।
आजादी मिलते ही फिर शर्मिला हो गईं
27 दिसंबर, 1969 को दोनों की शादी हो गई। यह शादी जब हुई तो काफी लोगों ने इस बात के लिए शर्त लगाई थी कि यह जोड़ी भी ज्यादा नहीं चलेगी और जल्द ही टूट जाएगी, लेकिन सारे कयासों को पीछे करते हुए यह जोड़ी बेहद कामयाब रही और 42 साल तक निर्बाध चलती रही। यह जोड़ी 22 दिसंबर 2011 उस समय टूटी जब पटौदी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।अपने-अपने क्षेत्र में बेहद कामयाब दो चर्चित हस्तियों की इस जोड़ी ने जिस तरह से सफल वैवाहिक जीवन जिया उसने एक तरह से दुनिया को नायाब मिसाल भी दी।