
जानकारी के अनुसार मंगलवार को नमामी गंगे परियोजना पर एक विस्तृत रिपोर्ट दोनों सदनों में पेश की गई। गंगा को साफ करने पर सरकार का उपदेश और इस रिपोर्ट में चौंकाने वाला अंतर दिखाती है। गंगा को साफ करना भाजपा के घोषणापत्र का हिस्सा था। 180 दोषी उद्योगों में से 42 यूनिट्स ने नोटिस के बावजूद अनुपालन प्रस्तुत नहीं किया और न ही निरीक्षण के लिए यूईपीपीसीबी से संपर्क किया।
9 कंपनियों को बंद किए था लेकिन 7 चल रहीं हैं
नदी को प्रदूषित करने वाली हरिद्वार की जिन 9 कंपियों को बंद किया गया था, सीएजी ने पाया कि उनमें से 7 कंपनियां अभी भी चल रही थी। इस कदम के बाद हरिद्वार के 5 आश्रमों को धमकी मिलने के बाद सेप्टिक टैंकों की स्थापना की गई, ताकि गंदे पानी का प्रवाह नदी में न पहुंच पाए।
बता दें कि गंगा को सबसे अधिक गंदा करने वाले शहरों में कोलकाता, वाराणसी, कानपुर, इलाहाबाद, पटना, हावड़ा, हरिद्वार और भागलपुर है, जो गंगा में 70% प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं। रिपोर्ट के अनुसार बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, यूपी और पश्चिम बंगाल में ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम बेहद कम है। वहीं सीएजी ने सुझाव दिया है कि नमामि गंगे आयोग को वार्षिक कार्य योजना तैयार करनी चाहिए।