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ज्ञातव्य है कि चार्जशीट में फोन टैपिंग केस, एचपीसीए जैसे अहम केस की जांच इन्हीं के नेतृत्व में की गई थी। स्टडी लीव पर जाने की मंजूरी मिलने के बाद राज्य कार्मिक विभाग ने शनिवार को उनकी जगह आवासीय आयुक्त का कार्यभार आईएएस अधिकारी हिमांशु शेखर चौधरी को सौंप दिया है। उधर, नई सरकार बनने से पहले कई अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए हैं। इनमें से आईएएस नंदिता गुप्ता और अभिषेक जैन प्रतिनियुक्ति पर जा चुके हैं। अभिषक जैन डायरेक्टर इंडस्ट्री पर तैनात थे, अब वे चंडीगढ़ में सांख्यिकी मंत्रालय के रीजनल सेंटर में तैनाती दी गई है। नंदिता दास दिल्ली में तैनात हैं। प्रधान सचिव आईपीएच अनुराधा ठाकुर भी पिछले महीने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली जा चुकी हैं।
सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है मामला
एचपीसीएकी जांच का मामले को पहले प्रदेश के हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। इसमें राज्य सरकार के खिलाफ फैसला आया। सरकार ने इस फैसले को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी। यह मामला अभी तक सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। इस पूरे मामले में चार्जशीट पूर्व आईएएस अधिकारी दीपक सानन चार्जशीट ही सेवानिवृत्त हो गए। इनकी सेवानिवृत्ति के बाद राज्य सरकार ने चार्जशीट को ड्राॅप तो कर लिया, लेकिन जांच की आंच में फंसे आईएएस को काफी नुकसान उठाना पड़ा।
कांग्रेस सरकार बनते ही विजिलेंस में दी थी तैनाती
2012में कांग्रेस की सरकार बनते ही आईपीएस अधिकारी एपी सिंह को विजिलेंस में तैनात किया गया था। कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही चार्जशीट की जांच शुरू करवाई। एचपीसीए के मामले जांच शुरू की गई। एचपीसीए के मामले में लैंड यूज चेंज करने की मंजूरी बिना कैबिनेट की स्वीकृति के देने की बात सामने आई। इस मामले में जांच के बाद वरिष्ठ आईएएस दीपक सानन सहित अन्य अधिकारियों पर जांच शुरू हुई। एचपीसीए के दूसरे मामले में शिक्षा विभाग के भवन को तोड़ने के मामले में जांच शुरू हुई। इसमें पूर्व मु़ख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल, सांसद अनुराग ठाकुर सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया।
एपी सिंह को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के चहेते अफसरों में से माना जाता है। वर्ष 2007-12 के बीच में भाजपा सरकार के समय में पहले मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की सीडी मामले में पूरा केस इनकी देखरेख में ही तैयार हुआ था। वीरभद्र सिंह के केंद्र में स्टील मंत्री बनने के बाद वह मंत्रालय में उनके निजी सचिव भी रहे। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के केंद्र से वापस आने के बाद इन्होंने भी हिमाचल पुलिस में सेवाएं देना शुरू कर दिया।