
औषधि निरीक्षक वैभव बव्वर ने बताया कि बड़ौत के एक मेडिकल स्टोर से एक दवाई का नमूना लिया गया था। उसको जांच के लिए लखनऊ लैब में भेजा गया था। जो अद्योमानक पाया गया है। जांच की गई तो बताया गया कि इस दवाई की निर्माता कंपनी दिल्ली में है लेकिन वहां पर इस नाम की दवाई की कोई कंपनी नहीं मिली।
उसके बाद इस दवा का उत्पादन रुड़की में होने की जानकारी मिली। वहां पर जाकर जांच की तो पता चला कि ओम बायो मेडिकल की कंपनी दवाई का निर्माण करती है जबकि उनके पास इसके लिए मान्य दस्तावेज नहीं मिले। इस मामले में दवाई की फर्म, मालिक समेत चार के खिलाफ सीजेएम कोर्ट में वाद दायर किया गया है।