
मुख्य वक्ता के रूप में राज्य जीएसटी विभाग के डिप्टी कमिश्नर नरेंद्र सिंह चौहान ने यहां वकीलों और चार्टर्ड अकाउंटेंट के सवालों के जवाब दिए। एसोसिएशन के अध्यक्ष एस कृष्णन और सचिव मृदुल आर्य और जीएसटी विशेषज्ञ मुकुल शर्मा भी इस अवसर पर उपस्थिति थे। चौहान ने कहा कि प्रस्तावित बिल में सभी की सहूलियतों का ध्यान रखा गया है।
अगर रास्ते में सामन लेकर रही गाड़ी खराब हो जाए तो उसके लिए भी इसमें प्रावधान किए गए हैं। यूज्ड गुड्स और हाउसहोल्ड गुड्स को इससे बाहर रखा गया है। रेल्वे के जरिए आने वाले सामान के लिए इसमें रेल्वे रजिस्ट्रेशन नंबर लगेगा।
बाहर से सामान मंगाने के लिए वैट एक्ट में फाॅर्म-49 लगता था लेकिन अब टैक्स फ्री 154 आइटम को छोड़कर शेष सभी में ई-वे बिल लगेगा।
एक शहर से दूसरे शहर नहीं बल्कि चौक में एक दुकान से दूसरे दुकान में माल भेजने के लिए भी ई-वेे बिल की जरूरत होगी।
गोडाउन से माल ऐसे ट्रांसपोर्टर के पास भेजा जा रहा है जिसकी दूरी 10 किमी से कम है तो ई-वे बिल नहीं लगेगा लेकिन उसे ई-वेे बिल का फाॅर्म तो भरना ही होगा।
कहां लगेगा ई-वे बिल
गोडाउन से ट्रांसपोर्टर तक माल भेजने के लिए दूरी का निर्धारण गूगल मैप से ही होगा। सड़क मार्ग से नापी गई दूरी को सही नहीं माना जाएगा। व्यापारी इसको लेकर दुविधा की स्थिति में रहेगा। ज्यादातर लोग गूगल मैप से दूरी नापना नहीं जानते। वे सड़क मार्ग से तय की गई दूरी के आधार माल भेजते हैं और यह बाद में ज्यादा निकल गई तो उन्हें पेनॉल्टी देनी पड़ सकती है।
ई-वे बिल के लिए हर वस्तु का एचएसएन कोड डालना है। लेकिन जीएसटी में जिन कारोबारियों का टर्नओवर 1.50 करोड़ से कम है। उनके लिए यह कोड जरूरी नहीं है। ऐसे में वे ईवे बिल में क्या डालेंगे इसको लेकर संशय है।
किस ई-वे बिल की वैधता कितने दिन
100 किमी 01 दिन
200 किमी 02दिन
300 किमी 03दिन
1000 किमी 10 दिन
1001 किमी 11 दिन