
सूत्रों के मुताबिक सामान्य प्रशासन विभाग ने संविदा नियुक्ति नियम के मसौदे में प्रावधान रखा था कि यदि एक साल तक सीधी भर्ती और पदोन्न्ति के पद किन्हीं वजह से खाली रह जाते हैं तो उन्हें संविदा के जरिए भरा जा सकेगा। इसके लिए किसी से अनुमति लेने की जरूरत भी नहीं होगी। विभागीय जरूरत के हिसाब से भर्ती होगी।
इस प्रावधान को कैबिनेट में जाने से पहले हटा लिया गया था। करीब डेढ़ माह बाद विभाग ने नियमों में बदलाव के लिए पुराने प्रस्ताव को सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री लालसिंह आर्य से सहमति लेते हुए अभिमत के लिए वित्त विभाग को भेजा था। वित्त विभाग ने पिछले दिनों सामान्य प्रशासन विभाग को अभिमत देते हुए प्रस्ताव से असहमति जता दी। इसमें बताया गया कि यदि नया नियम जोड़ा जाता है तो संविदा नियुक्ति के मामले काफी बढ़ सकते हैं।
सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि न्यायिक सेवा से जुड़े पदों पर संविदा नियुक्ति नहीं देने का प्रावधान रखा गया है पर इसको लेकर लोकायुक्त संगठन सहित अन्य जगह परेशानी हो सकती है। सभी दृष्टिकोणों को ध्यान में रखते हुए प्रस्ताव तैयार किया गया पर अब जब वित्त विभाग ने असहमति जता दी है तो उच्च स्तर पर प्रकरण को रखकर निर्णय लिया जाएगा।
बन सकती है छानबीन समिति
सूत्रों का कहना है कि नए प्रस्ताव में संविदा नियुक्ति से पहले छानबीन समिति के समक्ष प्रकरण को रखने की व्यवस्था बहाल की जा सकती है। इसको लेकर किसी को कोई आपत्ति नहीं है। यदि नियमों में बदलाव नहीं भी होता है तो यह व्यवस्था तो लागू की ही जा सकती है।