रायपुर। छत्तीसगढ़ में 15 दिन से चल रही शिक्षाकर्मियों की हड़ताल वापस ले ली गई है। आधिकारिक रूप से कहा गया है कि यह हड़ताल बिना शर्त वापस ली गई है परंतु सूत्र बताते हैं कि 5 दिसम्बर को कांग्रेस द्वारा प्रदेश व्यापी बंद बुलाए जाने के बाद रमन सिंह सरकार ने हड़ताली शिक्षाकर्मी नेताओं तक एक गोपनीय संदेश भेजा गया और आंदोलनकारी व सत्ता के बीच सहमति बन गई। जल्द ही इस हड़ताल के नतीजे दिखाई देने लगेंगे। शिक्षाकर्मी अपनी प्रमुख मांग शिक्षा विभाग में संविलियन के लिए हड़ताल पर थे। इससे पहले सरकार ने 41 कर्मचारी नेताओं को बर्खास्त कर दिया था।
आधिकारिक रूप से कहा गया है कि शिक्षाकर्मी महासंघ ने छात्रों के भविष्य को देखते हुए वापस ले लिया। छत्तीसगढ़ के मुख्यसचिव द्वारा मीडिया को बताया गया कि बर्खास्त शिक्षाकर्मियों पर कार्रवाई नही कि जायेगी और ना ही कोई उनके विरूद्ध प्रकरण दर्ज किये जायेंगे। शिक्षाकर्मियों के बर्खास्त नेताओं के बर्खास्ती के आदेश तुरंत प्रभाव से निरस्त माने जायेंगे।
छत्तीसगढ़ के तृतीय श्रेणी कर्मचारी संघ के द्वारा निर्णय लिया गया है कि बर्खास्त शिक्षाकर्मियों की न्यायालय मे निशुल्क लड़ाई लड़ी जायेगी और न्याय दिलाया जायेगा। शालेय शिक्षाकर्मी महासंघ छत्तीसगढ़ के द्वारा सहयोग करने वाली समस्त संस्थाओ को धन्यवाद ज्ञापित किया हैं।
इसके पूर्व सांतवा वेतनमान लेने से नकार चुके जेल मे बंद शिक्षाकर्मी नेताओ से शासन के प्रतिनिधि के रूप मे रायपुर कलेक्टर ने मुलाकत कर 9 सूत्रीय माँगो के निराकरण करने व बर्खास्त शिक्षाकर्मियों पर कार्यवाही नही करने के संबंध मे अवगत कराया। जिस पर संघ के नेताओ ने रात्री 1 बजे हड़ताल समाप्ति की घोषणा कर दी।
काँग्रेस द्वारा 5 दिसंबर को शिक्षाकर्मियों के समर्थन मे छत्तीसगढ़ बंद का आह्वान किया गया था। शिक्षाकर्मी संघ के नेताओ ने राजनीति नही करने व अन्य पार्टी को इसका लाभ ना उठाने देने पर अपनी गेंद सरकार के पाले मे फेंख दी है। यदि सरकार द्वारा शिक्षाकर्मियों का संविलियन कर राज्य कर्मचारी का दर्जा नही दिया गया तो 2018 के विधानसभा चुनाव को प्रभावित करने का फैसला लिया।
मध्यप्रदेश मे भी इस आंदोलन की आग फैलती जा रही है, यहाँ के अध्यापक भी विगत 20 वर्षों से शिक्षाविभाग मे संविलियन कर राज्य कर्मचारी का दर्जा माँग रहे हैं। जिस पर मध्यप्रदेश शासन व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 17 दिसंबर को अध्यापकों का शिक्षा गुणवत्ता सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। जिसमे उनकी मुख्य माँगो पर सर्वप्रथम निर्णय मध्यप्रदेश सरकार द्वारा लिया जा सकता है। सरकार पर आर्थिक बोझ ना होने से उनकी मुख्य माँग मानी जा सकती हैं, जिससे आने वाले विधानसभा चुनावो पर अन्य पार्टी के समीकरण बिगड़ सकते हैं।