दुर्ग भिलाई/छत्तीसगढ़। थर्ड जेंडर को भी अनुच्छेद-19 के तहत है समान अधिकार प्राप्त है। अब छत्तीसगढ़ पुलिस में पहली बार किन्नरों की भी भर्ती की जाएगी। पुलिस लाइन में आयोजित वर्कशॉप में एएसपी सुरेशा चौबे ने ये बाते कही। उन्होंने अपने व्याख्यान में कहा कि यदि कोई भी थर्ड जेंडर आवेदक थाने आता है तो उस समय थाने में उपस्थित प्रभारी उसे उसी रूप में ट्रीट करेगा जैसे दूसरों को करता है।
थर्ड जेंडर के लिए अनेक भ्रांतियां समाज में फैला दी गई है। जिसे दूर करना है। थर्ड जेंडर के प्रति पुलिस की संवेदनशीलता पर वर्कशॉप का आयोजन दुर्ग पुलिस द्वारा किया गया था। लिस और समाज कल्याण विभाग ने बुधवार को पुलिस लाइन स्थित सभागार में थर्ड जेंडरों की न केवल समस्याएं सुनी बल्कि कानूनी तरीके से मदद देने का आश्वासन दिया।
कार्यक्रम में विधिक सेवा आयोग सचिव दिग्विजय सिंह सहित पुलिस काउंसलर अंजना श्रीवास्तव, समाज कल्याण विभाग के पदाधिकारी और हवलदार से लेकर विवेचना करने वाले अधिकारी भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के दौरान विद्या राजपूत के द्वारा पीपीटी प्रेजेंटेशन के द्वारा थर्ड जेंडर के संबंध में जानकारी दी गई।
हाईकोर्ट दे चुका है फैसला
राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस दिनेश मेहता की कोर्ट में नवम्बर 2017 को मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने किन्नर गंगा कुमारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए छह सप्ताह में नियुक्ति पत्र देने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने सोमवार को आदेश दिया कि पुलिस विभाग गंगा कुमारी को कांस्टेबल के रूप में नियुक्त करे। पुलिस विभाग ने उनके जेंडर के कारण उन्हें नौकरी पर रखने से इनकार कर दिया था।
गौर हो कि 2013 में 12 हजार पदों के लिए पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा हुई थी। राजस्थान के जालौर जिले के रानीवारा इलाके की रहने वाली गंगा ने यह पुलिस भर्ती परीक्षा पास किया था लेकिन मेडिकल जांच के बाद उनकी नियुक्ति को रोक दिया गया था। जांच में पता चला कि गंगा कुमारी किन्नर हैं। इसके बाद गंगा कुमारी ने हाई कोर्ट की शरण ली और दो साल के संघर्ष के बाद उन्हें सफलता मिली।