नई दिल्ली। सारे देश में आर्थिक दहशत फैलाने वाले फाइनेंशियल रेजोल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल -2017 (FINANCIAL RESOLUTION AND DEPOSIT INSURANCE BILL 2017) के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार एवं वित्त मंत्रालय की तरफ से कोई सशक्त प्रतिक्रिया नहीं आई है। केवल वित्त मंत्रालय की ओर से ट्वीटर पर बताया गया है कि नए संशोधित ड्रॉफ्ट से बैंक ग्राहकों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा बल्कि इससे बैंकों में जमा पूंजी को और सुरक्षा मिलेगी। मंत्रालय ने लिखा है 'Provisions of the Financial Resolution and Deposit Insurance Bill, 2017 are meant to protect the interests of the depositors'
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इस बारे में कोई बयान नहीं दिया है। बता दें कि केंद्रीय कैबिनेट FRDI बिल को संसद में पेश करने की तैयारी में है। कहा जा रहा है कि इस बिल के पास हो जाने के बाद सरकार की बैंकों के गारंटर के तौर पर जिम्मेदारी पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी। अगर ये बिल पास हो गया तो सरकार एक नया रेजोल्यूशन कॉर्पोरेशन बनाएगी। इस कॉर्पोरेशन के बनने के बाद पुराना कानून पूरी तरह से निष्प्रभावी हो जाएगा, जिसके चलते अभी तक बैंकों को सरकार की तरफ से गारंटी मिली हुई थी।
नए कानून के मुताबिक बैंकों के दिवालिया होने की स्थिति में आम लोगों का एक लाख रुपये से अधिक पैसे का इस्तेमाल बैंक को फिर से खड़ा करने में लगाएगी। इतना ही नहीं आप बैंक में पड़े अपने पैसे को कितना निकाल सकते हैं यह भी सरकार ही तय करेगी। अगर सरकार को लगा कि आपकी एक लाख से ऊपर जमा पूरी राशि को बैंकों का एनपीए कम करने में इस्तेमाल हो सकता है, तो फिर आप अपने खाते से राशि को कम से कम पांच साल के लिए निकाल नहीं पाएंगे।
क्या कहा वित्त मंत्रालय ने
लोकसभा में 11 अगस्त, 2017 को पेश किया गया वित्तीय समाधान एवं जमा बीमा विधेयक, 2017 (एफआरडीआई विधेयक) फिलहाल संसद की संयुक्त समिति के विचाराधीन है। संयुक्त समिति एफआरडीआई विधेयक के प्रावधानों पर सभी हितधारकों के साथ सलाह-मशविरा कर रही है। एफआरडीआई विधेयक के ‘संकट से उबारने’ वाले प्रावधानों के संबंध में मीडिया में कुछ विशेष आशंकाएं व्यक्त की गई हैं। एफआरडीआई विधेयक, जैसा कि संसद में पेश किया गया है, में निहित प्रावधानों से जमाकर्ताओं को वर्तमान में मिल रहे संरक्षण में कोई कमी नहीं की गई है, बल्कि इनसे जमाकर्ताओं को कहीं ज्यादा पारदर्शी ढंग से अतिरिक्त संरक्षण प्राप्त हो रहे हैं।
ये नहीं बताया कि बैंक दीवालिया हुआ तो क्या होगा
भारत के आम नागरिक परेशान हैं कि यदि बैंक दीवालिया हुए तो क्या होगा। अब तक सरकार की गारंटी होती थी। यदि सरकारी बैंक दीवालिया हुआ तो सरकार पैसे चुकाएगी। जनता सरल शब्दों में स्पष्टीकरण चाहती है कि यदि बैंक दीवालिया हुआ तो उसमें जमा उनकी पूंजी का क्या होगा।
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