
जीएसटी काउंसिल के मेंबर सुशील मोदी ने उद्योग चैंबर फिक्की के कार्यक्रम में इस तरह के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि जिस भी देश में पेट्रोलियम पदार्थों पर जीएसटी लगता है, वहां यह सबसे ज्यादा टैक्स वाले स्लैब में है। भारत में सबसे ज्यादा टैक्स 28% है, लेकिन केंद्र और राज्यों का 40% रेवेन्यू पेट्रोलियम पदार्थों से आता है। इसलिए उन्हें 28% के ऊपर अतिरिक्त टैक्स लगाने का अधिकार होगा।
सुशील मोदी ने बताया कि जीएसटी में पेट्रोलियम पदार्थों से मिलने वाला रेवेन्यू कम नहीं होगा, बल्कि इसे मौजूदा के आसपास ही रखा जाएगा। पेट्रोलियम पदार्थों पर जीएसटी लागू होने से इंडस्ट्री और कंज्यूमर दोनों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि वैट की तरह जीएसटी भी सफल होगा। उम्मीद है कि 2-3 साल बाद राज्य केंद्र से मुआवजा नहीं मांगेंगे। गौरतलब है कि केंद्र ने पांच साल तक राज्यों को मुआवजे का वादा किया है। यह टैक्स कलेक्शन में हर साल 14% ग्रोथ के आधार पर होगा।
28% का स्लैब हो सकता है 25%
मोदी ने कहा कि भविष्य में जीएसटी रेट में कमी की जा सकती है। अधिकतम रेट 28% को घटाकर 25% किया जा सकता है। इसके अलावा 12 और 18% स्लैब को मिलाकर 15-16% का नया स्लैब बनाया जा सकता है। अभी कोल्ड ड्रिंक्स, गाड़ियां, तंबाकू उत्पादों पर 28% टैक्स के साथ सेस भी लगता है। टैक्स की दरों में बदलाव आगामी 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट के बाद किया जा सकता है।
स्टांप ड्यूटी और बिजली भी आएगी जीएसटी के दायरे में
काउंसिल रियल एस्टेट स्टांप ड्यूटी और बिजली को भी भविष्य में जीएसटी में लाने पर विचार कर रही है। बिल में पहले से इसका प्रावधान है, इसलिए संविधान संशोधन की जरूरत नहीं पड़ेगी। हालांकि यह नहीं कहा जा सकता कि ऐसा कब तक होगा।