मप्र हाउसिंग बोर्ड को बंद करने का सुझाव | MP NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। हाउसिंग बोर्ड में कमिश्नर रह चुके सीनियर आईएएस अफसर एवं वर्तमान में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव नितेश व्यास ने सुझाव दिया है कि मप्र हाउसिंग बोर्ड को बंद कर देना चाहिए क्योंकि अब वो प्रासंगिक नहीं रह गया है। इसके नियम ग्राहकों को परेशान करने वाले हैं। चूंकि यह सरकारी संस्था है इसलिए ग्राहकों का ध्यान नहीं रखा जाता। इतना ही नहीं पिछले 45 साल में बोर्ड 4 लाख मकान भी नहीं बना पाया जबकि नगरीय निकायों ने 2 साल में 2 लाख मकान बना दिए। 

पत्रकार मनीष दीक्षित की रिपोर्ट के अनुसार पंचायत एवं ग्रमाीण विकास विभाग के सचिव नितेश व्यास ने राज्य सरकार को भेजी नोटशीट में कहा है कि बोर्ड अपने 45 साल के लंबे कार्यकाल में 4 लाख मकान भी नहीं बना पाया है। जबकि नगरीय निकायों ने महज दो साल में ही 2 लाख मकान बनाने का लक्ष्य पूरा कर लिया है। व्यास के इस सुझाव को बोर्ड के अध्यक्ष कृष्णमुरारी मोघे ने सिरे से खारिज करते हुए ब्यूरोक्रेट्स की कार्यप्रणाली पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। 

उनका कहना है कि लाभ में चलने वाली इस संस्था की कमान पिछले कुछ सालों ब्यूरोक्रेट्स के हाथों में रही। इस दौरान यह घाटे में आई है। व्यास ने बोर्ड को बंद करने के कई कारण बताए हैं। उन्होंने कहा है कि वर्तमान में उपभोक्ताओं की मांग पूरी करने के लिए बोर्ड तकनीकी और आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है। बोर्ड वर्ष 1972 में जब अस्तित्व में आया था, तब सुनियोजित आवास निर्माण कार्य के लिए निजी क्षेत्र (रियल एस्टेट) विकसित नहीं हुआ था, जबकि वर्तमान में बिल्डर और कॉलोनाइजर्स ने इस क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ बना चुके हैं। इसके उलट बोर्ड वर्षों से चली रही परंपरागत कार्यप्रणाली पर ही चल रहा है। उपभोक्ताओं की बोर्ड द्वारा बनाए जा रहे मकानों में ज्यादा रुचि इसलिए भी नहीं है, क्योंकि निजी क्षेत्र में उन्हें कई प्रकार की सहूलियतें छूट मिल रही हैं 

व्यास ने कहा कि शहरी क्षेत्र में आवास निर्माण करने के लिए शासकीय एजेंसियों की संख्या काफी बढ़ गई है, जबकि निकायों का मूल दायित्व नागरिकों को मूलभूत सेवाएं उपलब्ध करना है। वर्तमान में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के रूप में नगर निगम सीधे तौर पर रियल एस्टेट की भूमिका में गए हैं, जबकि नगर पालिक अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक गंदी बस्ती उन्मूलन को छोड़कर नगरीय आवासों का निर्माण नगर निगम कर रहे हैं। 

ऐसे अफसर के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए
इस मामले पर बोर्ड के अध्यक्ष मोघे का कहना है कि यह गंभीर विषय है। एक अफसर ने गुपचुप तरीके से बोर्ड को बंद करने का सुझाव दे दिया, इस पर मुझे आपत्ति है। इस विषय पर सीएम से बात कर अनुरोध करूंगा कि ऐसे अफसर के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई करें। जहां तक बोर्ड का सवाल है यह आवास निर्माण में अग्रणी संस्था है। जैसे ही यह अधिकारियों के हाथों गई, घाटे में गई। लोगों को संस्था पर भरोसा है और जल्द ही इसे हम घाटे से उबार लेंगे। वर्तमान में बोर्ड द्वारा निर्मित एलआईजी और ईडब्ल्युएस में हितग्राहियों को प्रधानमंत्री आवास योजना में भी अधिक लाभ दिया जा रहा है। 

ब्यूरोक्रेट नहीं, इंजीनियर के हाथ में हो कमान 
व्यास ने कहा कि यदि बोर्ड की यथास्थिति बरकरार रखना है तो कमिश्नर के पद पर आईएएस अफसर की जगह वरिष्ठ मुख्य अभियंता या प्रमुख अभियंता स्तर के अफसर को बोर्ड की कमान दी जाना उचित होगा। वैसे भी आईएएस काडर पद के रूप में हाउिसंग बोर्ड कमिश्नर चिह्नित नहीं है। 

विभागों के भवन निर्माण के काम पीआईयू के पास 
व्यास ने कहा कि करीब डेढ़ दशक पहले तक शासन बड़े भवनों का निर्माण बोर्ड के माध्यम कराता था, लेकिन वर्तमान में पीडब्ल्यूडी के अंतर्गत पीआईयू का गठन हो जाने के बाद से लगभग सभी विभागों के भवन निर्माण का काम उसे दे दिए गए हैं। बोर्ड ने इन्हें लेने के कई प्रयास किए, लेकिन एक भी काम नहीं मिला। 

बोर्ड को सक्षम बनाने कोई प्रयास नहीं हो रहे 
व्यास ने कहा कि जनप्रतिनिधियों की बोर्ड को सक्षम बनाने में कोई रुचि नहीं है। इतना ही नहीं, केंद्र और राज्य सरकार की आवास योजनाएं जेएनएनआरयूएम, मुख्यमंत्री आवास योजना, हाउिसंग फॉर ऑल जैसी स्कीम का क्रियान्वयन भी निकायों द्वारा किया जा रहा है। ऐसे में बोर्ड की कोई उपयोगिता नहीं रह गई है। 

व्यास बोले- बोर्ड 45 साल में चार लाख मकान भी नहीं बना पाया, जबकि नगरीय निकायों ने मात्र दो साल में ही दो लाख से अधिक मकान बना दिए। यानी बोर्ड ने अपनी क्षमताओं का उपयोग ही नहीं किया। 

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!