भोपाल। गुजरात चुनाव ने मध्यप्रदेश में राजनीति की चाल बदल दी है। टीवी पर भाजपा के प्रवक्ताओं ने भले ही गुजरात के नतीजों को एतिहासिक बताया हो परंतु असलियत यह है कि नतीजों ने उनकी नींद उड़ा दीं हैं। मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा अब कोई चांस नहीं लेना चाहती। अमित शाह ने शिवराज सिंह को 200 सीटों का टारगेट दिया था, लेकिन अब कसरत सरकार बनाने के लिए नए सिरे से शुरू की जा रही है। हालात यह हैं कि भाजपा के रणनीतिकार अब तक केवल ज्योतिरादित्य सिंधिया को थोड़ी चुनौती मान रहे थे परंतु अब कमलनाथ से भी डरने लगे हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया भले ही कांग्रेस के करिश्माई नेता क्यों ना हों परंतु उनकी राह में कांटों की कमी नहीं है। भाजपा के चाणक्यों ने इन कांटों में काफी खाद पानी पहुंचा दिया है। यह निरंतर जारी है। सिंधिया को सीएम कैंडिडेट घोषित होने से रोकने के लिए कई गुप्त समझौते भी हो रहे हैं लेकिन अब भाजपा की नई चिंता कमलनाथ बन गए हैं। पिछले कुछ दिनों में कमलनाथ का ग्राफ बढ़ा है।
अब तक भाजपा कमलनाथ को कमजोर मान रही थी परंतु गुजरात नतीजों के बाद भाजपा को डर है कि यदि कमलनाथ को चांस मिला तो वो भी कमजोर साबित नहीं होंगे। जिस गुजरात में संगठन शून्य की स्थिति पर था वहां कांग्रेस इतनी मजबूत बनकर सामने आई है तो मप्र में कांग्रेस गुजरात से ज्यादा मजबूत है। दूसरी बड़ी बात यह कि राहुल गांधी मध्यप्रदेश में भी गुजरात की तरह ताकत झोंक देंगे परंतु नरेंद्र मोदी शायद इतना वक्त नहीं दे पाएंगे। घबराई भाजपा अब कमलनाथ की कुण्डली तलाश रही है। आने वाले दिनों में कमलनाथ पर बड़ा हमला भी हो सकता है।