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आदित्य ने कहा “पहले हम राष्ट्र तक जाएंगे। हमें बिहार, उत्तर प्रदेश और कश्मीर में अच्छी संख्या में वोट मिले हैं। हम केरल में भी चुनाव लड़ सकते हैं।” शिव सेना को केवल एक रीजनल पार्टी के तौर पर बुलाने को पार्टी ने गंभीरता से लिया है और शिव सेना अब इसे राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए बहुत इच्छुक है। इस पर बात करते हुए आदित्य ने कहा “हमारे पास शहरों और देश के राज्यों तक पहुंचने की योजनाएं हैं। सभी लोगों के अपने-अपने मुद्दे होंगे तो हमें पहले स्थानीय बनना पड़ेगा।”
वहीं जब महाराष्ट्र और केंद्र में बीजेपी की सरकार के कामकाज के बारे में पूछा गया तो आदित्य ने कहा “सोसायटी का हर भाग नाखुश है। चुनावों से पहले मराठा समुदाय से आरक्षण देने का वादा किया गया था लेकिन हमें नहीं पता कि यह कितना मायने रखता है। आज के समय में राज्य के पूरे इलाकों में प्रदर्शन किया जा रहा है। अगर सरकार इस पर कुछ नहीं कर सकती है तो केवल विज्ञापनों और आश्वासन देने से मदद नहीं मिलने वाली।” इतना ही नहीं आदित्य ने बीजेपी और पुरानी कांग्रेस-एनसीपी की सरकार को एक जैसा बताया। आदित्य ने कहा “ऐसा लगता है कि आतंकवाद से निपटने, नौकरी और शिक्षा में सुधार नीतियों को लकवा मार गया है”