भोपाल। मध्यप्रदेश के दबंग आईएएस अफसर राधेश्याम जुलानिया मप्र के सबसे चर्चित अफसर हैं। उनके फैसले अक्सर सुर्खियां बन जाते हैं। पंचायत विभाग में रहते हुए जितना विरोध जुलानिया का हुआ, शायद ही किसी आईएएस अफसर का हुआ होगा। सबसे बड़ी बात यह है कि जुलानिया कभी सफाई नहीं देते। वो अपना काम करते हैं और आगे बढ़ जाते हैं। फिर उनके बारे में क्या कुछ चलता रहता है, वो ध्यान नहीं देते। शायद पहली बार उन्होंने अपना पक्ष प्रस्तुत किया है।
पत्रकार सुनील शर्मा से बात करते हुए उन्होंने बताया कि मुझे चुनाव नहीं लड़ना और न ही इमेज की चिंता है। जो भी जनता के लिए ठीक लगे उसे करता हूं। सरपंच और सचिव आंदोलन पर उन्होंने कहा कि मैंने ऐसे आदेश जारी किए जिनसे जनता का भला हो रहा था पर सरपंच, सचिव के हित बाधित हो रहे थे। जिनकी मंशा पूरी नहीं होगी, वे विरोध करेंगे पर मुझे इसकी चिंता नहीं है क्योंकि मुझे चुनाव नहीं लड़ना है। मैं शासकीय सेवक हूं और शासन की मंशा के अनुरूप काम करता हूं।
विभागीय मंत्री, समकक्ष एवं अधीनस्थ अधिकारियों की नाराजगी पर उन्होंने कहा कि मीडिया ने मेरे बारे में दुष्प्रचार कर रखा है। मीडिया ने ही ऐसी इमेज बना दी है। मैंने जिनके साथ काम किया है, उनसे पूछेंगे तो मेरे बारे में अच्छा ही बोलेंगे।
जुलानिया ने 2007 में आईएएस की नौकरी छोड़ने की पेशकश की थी। इसका राज खोलते हुए उन्होंने बताया कि वर्ष 2007 में जब मैंने भारतीय प्रशासनिक सेवा से अलग होने का मन बनाया था तो पिताजी ने मुझसे वजह पूछी और कुछ तर्क किए जिसमें मैं उनको संतुष्ट नहीं कर सका। फिर अहसास हुआ कि इस सेवा में रहकर भी लाखों लोगों को फायदा पहुंचा सकता हूं। इसके बाद तत्कालीन सीएस राकेश साहनी के पास जाकर इस्तीफा वापस ले लिया।
जुलानिया ने कहा कि मेरे हर निर्णय में आम जनता की भलाई होती है। अधिकारी कर्मचारी के लिए यह कंट्रोवर्सी हो सकती है पर जनता के लिए नहीं होती। जल संसाधन में रहने के दौरान 30 लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई क्षमता बढ़ी तो 60 लाख लोगों को फायदा पहुंचा। पंचायत विभाग में पहले से अच्छा काम हो रहा है। गड़बड़ियों पर मैंने अंकुश लगाया है।