इंदौर। सरकार ने अपनी विधानसभा क्षेत्रों में विकास के लिए विधायकों को बजट आवंटित कर रखा है। इसे विधायक निधि कहते हैं। इस राशि से अपने क्षेत्र में विकास कराने के लिए विधायक स्वतंत्र होते हैं, इसके अलावा उन्हे और अधिक बजट की जरूरत होती है तो वित्त मंत्रालय और मुख्यमंत्री की स्वीकृति चाहिए होती है लेकिन महापौर एवं विधायक मालिनी गौड़ एवं भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय अपने निजी अधिकार वाली विधायक निधि भी क्षेत्र के विकास हेतु खर्च नहीं करते। अब मात्र 3 माह बचे हैं। यदि दोनों ने अपनी निधियों से विकास कार्य नहीं कराए तो यह बजट सरकार वापस ले लेगी।
महापौर बनने के बाद मालिनी गौड़ ने विधायक निधि की तरफ ध्यान ही नहीं दिया। आंकड़े बता रहे हैं कि नवंबर तक उन्होंने 20 लाख रुपए की लागत के विकास कार्य भेजे हैं और उतनी ही राशि स्वीकृत हो गई, उधर विकास कार्यों की राशि स्वीकृत कराने में विधायक सुदर्शन गुप्ता आगे हैं। वर्षभर में प्रत्येक विधायक को 1.85 करोड़ रुपए विधायक निधि मिलती है। इंदौर में विधायक रमेश मेंदोला, महेंद्र हार्डिया और सांवेर विधायक राजेश सोनकर 1.85 करोड़ रुपए के प्रस्ताव भेज चुके हैं, लेकिन उनके उतनी राशि के काम स्वीकृत नहीं हो पाए हैं।
महापौर बनने से पहले मालिनी भी विधायक निधि खर्च करने में रुचि दिखाती थीं, लेकिन महापौर बनने के बाद अपेक्षाकृत उनके विधानसभा क्षेत्र में वैसे ही विकास कार्य ज्यादा हो रहे हैं और उसके लिए विधायक निधि भी खर्च नहीं करना पड़ रही है। हालांकि सभी विधायकों की निधि मार्च तक खत्म हो जाती है।
गौड़ के बाद कम राशि खर्च करने वाले विधायकों में कैलाश विजयवर्गीय हैं। उनकी विधानसभा में अभी तक 74.43 लाख रुपए के काम मंजूर कराए गए हैं। इतनी ही राशि के उन्होंने प्रस्ताव भी विभाग के पास भेजे थे। सांख्यिकी विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार दो नंबर, पांच नंबर और सांवेर विधानसभा क्षेत्र में भी निधि की पूर्ण राशि के प्रस्ताव बनाकर भेजे जा चुके हैं, लेकिन उतने काम स्वीकृत नहीं हुए हैं, जबकि विधायक सुदर्शन गुप्ता ने 1.81 करोड़ रुपए के काम स्वीकृति के लिए भेजे हैं। उनके सबसे ज्यादा 1.72 करोड़ के काम मंजूर हुए हैं। यह आंकड़े माह नवंबर तक के हैं।