जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिका के जरिए डॉ.हरीसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय सागर (dr. harisingh gour central university, sagar, madhya pradesh) में अस्थायी नियुक्ति घोटाले का आरोप लगाया गया है। याचिकाकर्ता डॉ.चन्द्रलता सिंह का दावा है कि जिस तरह पूर्व में स्थायी नियुक्ति घोटाले की वजह से sagar university चर्चा में आया था, ठीक वैसे ही अब अस्थायी नियुक्ति घोटाला किया गया है। लिहाजा, उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता व जस्टिस विजयकुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष यह मामला सुनवाई के लिए लगा। इस दौरान डॉ.हरीसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय सागर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीमती शोभा मेनन पक्ष रखने खड़ी हुईं। जबकि याचिककार्ता ने अपना पक्ष स्वयं रखा। उन्होंने आरोप लगाया कि जिस तरह 2010-13 में असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर अतिरिक्त और अवैधानिक नियुक्तियां की गई थीं, वैसे ही 2017-18 में अस्थायी अतिथि विद्वानों की नियुक्ति में मनमानी की गई है।
केन्द्रीय विश्वविद्यालय सागर की ओर से गलतबयानी के जरिए रिक्त पदों को नियमानुसार भरे जाने का दावा किया गया है। जबकि वस्तुस्थिति यह है कि अभी तक नियमपूर्वक कोई नियुक्ति की ही नहीं गई, सब कुछ अवैधानिक तरीके से हुआ है। इस वजह से याचिकाकर्ता सहित अन्य पुरानी गेस्ट फैकल्टी का हक मारा गया है। इसीलिए न्यायहित में हाईकोर्ट की शरण ले ली गई। हाईकोर्ट ने पूरे मामले पर गौर करने के बाद 6 सप्ताह तक के लिए सुनवाई टाल दी।