भोपाल/जबलपुर। व्यापमं महाघोटाले में पीपुल्स मेडिकल कॉलेज की एडमिशन कमेटी के मेंबर डॉ. पीयू देव महंत ने भोपाल की अदालत में सरेंडर कर दिया। जहां से उन्हें जेल भेज दिया। महंत पहले आरोपी है जिनकी हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत नामंजूर की थी। उधर, पीपुल्स ग्रुप के चेयरमैन एसएन विजयवर्गीय की उस अर्जी पर हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई, जिसमें सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट को चुनौती दी गई है। अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है।
पीपुल्स मेडिकल कॉलेज की एडमिशन कमेटी के मेंबर डॉ. पीयू देव महंत सोमवार को अपने वकील के साथ अदालत पहुंचे थे। वे पीपुल्स मेडिकल कॉलेज के आरोपियों में महंत पहला डॉक्टर है जिन्हें जेल भेजा गया है।
अदालत में सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक सतीश दिनकर ने उनकी जमानत अर्जी आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि अभियुक्त पीपुल्स मेडिकल कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर समिति का सदस्य था। कालेज के प्रवेश समिति के सदस्य होने के नाते पात्र छात्रों की जगह अपात्र छात्रों को प्रवेश देकर गंभीर अपराध किया है।
न्यायाधीश ने जमानत नामंजूर करते हुए लिखा
पीपुल्स मेडिकल कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर भोपाल को वर्ष 2012 में संचालक चिकित्सा शिक्षा भोपाल द्वारा एमबीबीएस की सरकारी कोटे की 63 सीटें आवंटित की गई थी।
अदालत में मौजूद दस्तावेजों के प्रथम दृष्टया दिखता है कि अभियुक्त पीयू देव महंत पीपुल्स मेडिकल कॉलेज की प्रवेश समिति का सदस्य था। उसने संचालक चिकित्सा को 20 सितंबर 2012 को झूठी जानकारी दी कि पीपुल्स मेडिकल कालेज को आवंटित सरकारी कोटे की 63 सीटों में से 54 सीटों पर छात्रों द्वारा प्रवेश लिया जा चुका है।
इसके बाद संचालक चिकित्सा को दूसरे राउंड की काउंसलिंग के पहले यह सूचना भेजी गई की प्रवेश ले चुके 54 छात्रों में से 2 छात्रों द्वारा शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में अपग्रेडेशन के लिए आवेदन पेश किया गया है।
इस तरह आरोपी पीयू देव महंत ने दो बार चिकित्सा संचालक को झूठी जानकारी भेजी। जबकि उस समय पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में 11 सीटें खाली थी।
आरोपी ने चिकित्सा संचालक को यह भी जानकारी दी कि उनके कालेज के अनुग्रह वर्मा, मोहम्मद साजिद, बृजेश कुमार मिश्रा, मुकेश कुमार पटेल जिसका वास्तविक नाम संदीप कुमार है तथा वीरेंद्र कुमार को प्रवेश दिया जा चुका है जबकि उक्त छात्रों को वास्तव में पीपुल्स कालेज में प्रवेश नहीं दिया गया था।
आरोपी के वकील की दलील
वकील ने जमानत अर्जी पर कहा कि महंत प्रवेश समिति का सदस्य नहीं था। उसने पीपुल्स मेडिकल कालेज समिति को पहले ही कह दिया था कि वह प्रवेश समिति में नहीं रहना चाहता उसे अलग कर दिया जाए। अपनी दलील के समर्थन में वकील ने पीपुल्स मेडिकल कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर के आफिस से दिये गये आदेश की प्रति पेश की।