भोपाल। राजधानी स्थित राजभवन के सामने आज कुछ लोग कफन ओढ़कर लेट गए। वो भोपाल गैस त्रासदी की बरसी के दिन आयोजित होने वाले कार्यक्रम रन भोपाल रन का विरोध कर रहे थे। उनका कहना है कि जब आधे शहर में मातम मनाया जा रहा है तो आधे शहर में जश्न कैसे हो सकता है। दो दिन पहले ही ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया के सदस्य अजय दुबे ने इसका विरोध शुरू कर दिया था। भोपाल रनर्स एनजीओ आईएएस एवं पूर्व भोपाल कलेक्टर निशांत वरबड़े की पत्नी अमिता सिंह का है। एनजीओ की वेबसाइट के मुताबिक खुद निशांत वरबड़े एनजीओ के फाउंडर प्रेसीडेंट हैं।
संगठन के लोग कफन ओढ़कर राजभवन के पास सड़क पर लेट गए। बाद में उन्हें हटाने के लिए पुलिस के जवान पहुंचे। विरोध प्रदर्शन में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया, छत्रपति ब्रिगेड, समेत कई संगठनों और स्कूल- कॉलेज के स्टूडेंट्स ने इसके विरोध में शुक्रवार को बोर्ड आफिस चौराहे पर प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों ने एनजीओ रन फॉर रन के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की है। दुबे का कहना है कि ३ दिसंबर को भोपाल गैस कांड दुनिया की सबसे बड़ी रासायनिक त्रासदी है। इसमें कई हजारों लोगों की अकाल मौत हो गई थी। इसकी बरसी पर रन फॉर रन जश्न मना रहा है।
रन भोपाल रन के खिलाफ दुबे के ये तर्क
एनजीओ रन भोपाल रन ने 2016 में वन विहार के अंदर घुसकर रैली निकाली थी। इस एनजीओ को केंद्रीय जू प्राधिकरण ने वन्य प्राणी सरंक्षण अधिनियम 1972 एवं जू रुल्स 2010 के तहत दोषी करार दिया था। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।