भोपाल। मध्य प्रदेश में पटवारी परीक्षा में बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन के कारण हजारों उम्मीदवार परीक्षा देने से वंचित रह गए। इनमें से ही एक है बैतूल यह दिव्यांग छात्रा जो भोपाल में परीक्षा देने आई थी। 200 किलोमीटर की दूरी तय करके परीक्षा देने आई दिव्यांग छात्रा को इसलिए भगा दिया गया क्योंकि वो फिंगर प्रिंट नहीं दे सकती थी। दरअसल, उसके हाथों में पंजे ही नहीं है। पीईबी अधिकारियों के लिए यह एक सामान्य प्रकरण हो सकता है परंतु उस दिव्यांग छात्रा के लिए यह उसका भविष्य था जो चौपट कर दिया गया।
20 साल की छात्रा जन्म से ही दिव्यांग है। उसके हाथ के पंजे नहीं है। परीक्षा फॉर्म में भी छात्रा ने इस बात का जिक्र किया था। बावजूद उसको ऐसा परीक्षा केंद्र दे दिया गया जहां आई स्केनर ही नहीं था। दिव्यांग छात्रा का मामला कहीं मुद्दा न बन जाए, वो शिकायत ना कर दे इसलिए उसकी आखों के सामने एक मोबाइल फोन लाया गया और कहा गया कि इसी से आई स्केनिंग होगी। फिर उसे बताया गया है कि उसकी आई स्केनिंग फेल हो गई है। इसलिए उसे परीक्षा में प्रवेश नहीं दिया जा सकता।
ये छात्रा सिर्फ अकेली नहीं है। कई ऐसे दिव्यांग है, जिन्हें परीक्षा केंद्र पर लापरवाही के चलते परीक्षा से ही हाथ धोना पड़ा। परीक्षा फॉर्म में सारी डीटेल्स होने के बाद भी अधिकारियों की लापरवाही छात्रों के लिए भारी साबित हो रही है।