भोपाल। मध्य प्रदेश में स्कूल के बच्चों से सरकारी कार्यक्रम 'बालरंग समारोह' में स्कूली छात्रों को चपरासी की तरह काम कराया गया। यहां शिक्षामंत्री विजय शाह (EDUCATION MINISTER VIJAY SHAH) को छात्रों ने चाय और स्नैक्स सर्व किए। चौंकाने वाली बात यह है कि शिक्षामंत्री ने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई जबकि छात्र स्कूल यूनिफार्म में थे। बता दें कि इस समारोह में 22 राज्यों के 10 हजार छात्र सहभागिता कर रहे हैं। यह एक बड़ा आयोजन है। जिसमें मप्र के स्कूली छात्रों को चाय सर्व करने के लिए मजबूर किया गया।
चौंकाने वाली बात तो यह है कि इसके बाद शिक्षामंत्री ने इसके समर्थन में कुतर्क भी दिया। उन्होंने कहा There is also arrangement of staff to do that but students are being made to serve so that they can also learn guest hospitality: Vijay Shah,Madhya Pradesh Education Minister. चाय सर्व करने के लिए यहां अलग से कर्मचारियों की व्यवस्था थी परंतु हमने बच्चों को अतिथि सत्कार करना सिखाया है।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, श्यामला हिल्स में बालरंग समारोह का आयोजन किया जा रहा है। सरकारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि बालरंग स्कूल के बच्चों में सृजनात्मक प्रतिभा को प्रोत्साहित कर अभिव्यक्ति के विविध अवसर प्रदान करता हैं। विद्यार्थियों को विभिन्न प्रदेशों की संस्कृति, धरोहर एवं राष्ट्रीय एकता से परिचित करवाना बालरंग का महत्वपूर्ण उद्देश्य है। बालरंग में राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और विभिन्न प्रांत के बीच जीवंत सम्पर्क बनाने के लिये विभिन्न कार्यक्रम किये जाते हैं।
इनमें पाठ्य-पुस्तक पर आधारित काव्य-पाठ, स्व-रचित काव्य-पाठ, तात्कालिक भाषण, वाद-विवाद, प्रश्न-मंच, सुलेख, केलियोग्राफी, लिपि-लेखन, निबंध प्रतियोगिता शामिल हैं। मदरसा प्रतियोगिता में कव्वाली, निबंध, स्व-रचित गायन, नज्म, गज़ल और वाद-विवाद (बहस-मुबाहिसा) शामिल हैं। बच्चों की सांस्कृतिक प्रतियोगिताएँ इंदिरा गांधी मानव संग्रहालय की आवृत्ति गैलरी में होगी। इनमें लोक-गीत एकल और समूह, शास्त्रीय नृत्य, सुगम संगीत, सामूहिक लोक-नृत्य और वाद्य यंत्र प्रतियोगिता शामिल है। स्कूल के बच्चों की नि:शक्तजन प्रतियोगिता मानव संग्रहालय के दशहरा रथ में होंगी। इनमें नृत्य, सुगम संगीत, भाषण और निबंध प्रतियोगिता शामिल हैं।
लेकिन जो तस्वीरें सामने आईं हैं वो कुछ और ही बयां कर रहीं हैं।