व्यापमं घोटाले का नरोत्तम मिश्रा कनेक्शन: नियमों में नरमी, माफिया की मदद | MP NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। व्यापमं घोटाले (VYAPAM SCAM) का नरोत्तम मिश्रा (HEALTH MINISTER NAROTTAM MISHRA) कनेक्शन सामने आया है। पता चला है कि व्यापमं घोटाला का खुलासा हो जाने के बावजूद तत्कालीन चिकित्सा शिक्षामंत्री नरोत्तम मिश्रा इस तरह के घोटाले को रोकने के प्रति गंभीर और सख्त नहीं थे बल्कि वो प्राइवेट मेडिकल कॉलेज (PRIVET MEDICAL COLLEGE) संचालकों के प्रति नरम रुख रखते थे, जबकि इन कॉलेजों में सरकारी कोटे की सीटें बेची जा रहीं थीं। व्यापमं घोटाले की जांच के दौरान SIT ने भी इन कॉलेजों में हुई धांधली पर कार्रवाई नहीं की। केवल CBI ने सत्ता की जड़ों तक पकड़ रखने वाले कॉलेज संचालकों को कार्रवाई की जद में लिया। 

नरोत्तम मिश्रा के नरम रुख का प्रमाण
पीएमटी घोटाला (PMT SCAM) उजागर होने के बाद 2014 में तत्कालीन मेडिकल एजुकेशन के प्रमुख सचिव अजय तिर्की (IAS AJAY TIRKEY) के दस्तखत से चिकित्सा शिक्षा मंत्री नरोत्तम मिश्रा को प्रस्ताव भेजा गया था कि गड़बड़ी करने वाले कॉलेज डीन पर एफआईआर की जाए। यह प्रस्ताव जब मंत्री के पास गया तो उन्होंने एफआईआर शब्द को संशोधित कर कठोर वैधानिक कार्रवाई कर दिया। इस प्रस्ताव के बाद प्रमुख सचिव तिर्की को मेडिकल एजुकेशन से हटा दिया गया। व्हिसल ब्लोअर डॉ. आनंद राय का आरोप है कि यह साबित करता है कि सरकार के स्तर पर भी कॉलेज संचालकों को गड़बड़ी में पूरा संरक्षण दिया जाता रहा। 

2014 में बनाए नए नियम, फिर भी घोटाला
डॉ. राय ने सूचना के अधिकार से हासिल दस्तावेजों में बताया है कि मेडिकल कॉलेजों में स्टेट कोटे से एडमिशन के लिए वर्ष 2014 में नियम बनने थे। नियम बनाने वाली कमेटी में तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा संचालक डॉ. एसएस कुशवाहा, उपसचिव एसएस कुमरे, संयुक्त संचालक एनएन श्रीवास्तव, डॉ. जीसी अग्रवाल, डॉ. राजेंद्र वर्मा प्रोफेसर एलके माथुर भी शामिल थे। इस कमेटी ने एडमिशन नियमों में संशोधन का प्रस्ताव प्रमुख सचिव अजय तिर्की के पास भेजा। तिर्की ने यह प्रस्ताव चिकित्सा शिक्षा मंत्री के अनुमोदन के लिए भेजा। 6 सितंबर 2014 को चिकित्सा शिक्षा मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस प्रस्ताव में एफआईआर शब्द में संशोधन कर लिखा कि अधिष्ठाता/ प्राचार्य के खिलाफ कठोर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। 

नरोत्तम मिश्रा को एफआईआर पर क्या एतराज था
मंत्री ने नोटशीट में एफआईआर की बात तो संशोधित कर दी, लेकिन यह नहीं बताया कि गड़बड़ी करने वाले कॉलेज के डीन के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई क्या होगी? डॉ. राय का सवाल है कि आखिर मंत्री ने ऐसा किन लोगों के इशारे पर किया? मेडिकल कॉलेजों के डीन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने पर उन्हें क्यों एतराज था? 

कई अफसरों के बच्चों को इन्हीं कॉलेजों में एडमिशन मिला
मेडिकल कॉलेज के संचालकों का सरकार पर इतना प्रभाव है कि इस प्रस्ताव के बाद उन्होंने प्रमुख सचिव अजय तिर्की का तबादला करवा दिया था। तिर्की को मेडिकल एजुकेशन से राजभवन का प्रमुख सचिव बना दिया गया था। इस बात से यह भी साफ हो गया है कि सरकार ने कॉलेज संचालकों को पोषित किया है। कई बड़े अफसरों के बच्चों को इन्हीं कॉलेजों मे नियमों के विरूद्ध एडमिशन मिला है। 

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