भोपाल। मप्र राज्य मुक्त ओपन स्कूल शिक्षा परिषद जिसे मप्र राज्य ओपन स्कूल कहा जाता था कि बोर्ड परीक्षाओं में बड़ा घोटाला सामने आया है। परीक्षाकेद्रों पर परीक्षार्थियों से कॉपियां कोरी छोड़ देने के लिए कहा गया। कॉपी के पहले पेज पर परीक्षार्थी ने अपनी जानकारी भरी और सबमिट कर दी लेकिन जब ये कॉपियां चैक करने के लिए भोपाल भेजी आईं तो वो ना केवल पूरी भरी हुईं थीं बल्कि उनमें सभी प्रश्नों के उत्तर बिल्कुल सही भी थे। घोटाला ओपन बोर्ड के प्रबंधन की गलत नीतियों के कारण हुआ। खुलासा श्योपुर जिले में हुआ है। माना जा रहा है कि यह मध्यप्रदेश के कई जिलों में हुआ होगा। पकड़ा गया मामला 2016-17 में हुई ओपन बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षा में हुआ। एक शिकायत के बाद शिक्षा विभाग ने इसकी जांच शुरू की। फौरी जांच में गड़बड़ी पकड़ में आई तो ओपन परीक्षा के प्रभारी शिक्षक को हटा भी दिया गया।
जून 2016 में ओपन बोर्ड परीक्षा में श्योपुर 250 से ज्यादा छात्र शामिल हुए थे। परीक्षा के बाद कॉपियां को जांचने के लिए स्कैन करके भोपाल भेजा गया था। जब यह कॉपियां ऑनलाइन जांची गईं तो वह कॉपियां भी भरी हुई निकली हैं जो असल में कोरी थीं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इन कोरी कॉपियों को स्थानीय स्तर पर ही स्कैनिंग के दौरान मेधावी छात्रों की कॉपियों से बदल दिया गया।
शिकायत पर ओपन बोर्ड ने 24 नवंबर को उप संचालक प्रशांत डोलस और दीपक पाण्डेय को श्योपुर भेजा। इन दोनों अफसरों ने बेहद गुपचुप तरीके से जांच की। श्योपुर से ओपन बोर्ड की 10 कॉपियों को भी यह दोनों अफसर जब्त करके ले गए। जांच में पाया गया कि इन कॉपियों में एक या दो प्रश्नों के उत्तर भी पूरे हल नहीं थे।
कॉपियों के अधिकांश पेज कोरे थे, लेकिन स्कैन करने के बाद जो कॉपियां भोपाल पहुंची, उनके अधिकांश प्रश्नों के उत्तर लिख दिए गए हैं। अभी जांच जारी है, लेकिन पहली कार्रवाई करते हुए शिक्षा विभाग ने इस मामले में ओपन बोर्ड परीक्षा प्रभारी सुशील कुमार दुबे को उत्कृष्ट स्कूल से हटाकर मॉडल स्कूल में पदस्थ कर दिया है। क्योंकि कॉपियों को स्कैन कर भोपाल भेजने का काम श्री दुबे की निगरानी में ही हुआ था।
यूं जताया जा रहा धांधली का अनुमान
एक अफसर ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि स्कैन करते समय कॉपी का पहला पेज जिस पर छात्र का नाम, रोल नंबर आदि अंकित रहता है, उस पेज को तो सही स्कैन किया गया, लेकिन जैसे ही अंदर के पेजों को स्कैन करने की बारी आई तो कोरे पेजों की जगह उन दूसरी कॉपियों के पेज पेस्ट कर दिए गए, जिनमें प्रश्नों के उत्तर सही लिखे गए थे।
पहले भी होता रहा है 'ओपन' में घपला
ओपन बोर्ड परीक्षा में पहली बार गड़बड़ी पकड़ में नहीं आई है। श्योपुर जिले में पहले भी ऐसे घपले सामने आ चुके हैं। पांच साल पहले हजारेश्वर स्कूल में ओपन बोर्ड परीक्षा में भाग लेने वाले 70 छात्रों की अंकसूची आई तो वह फर्स्ट डिवीजन पास थे।घपला यह था कि जिन छात्रों को फर्स्ट डिवीजन पास किया गया था, वह परीक्षा में भी नहीं बैठे थे। हजारेश्वर स्कूल के तत्कालीन प्रिंसीपल केसी गोयल ने यह सभी अंकसूची वापस भोपाल भेज दी थीं।
करीब चार साल पहले तत्कालीन कलेक्टर जीबी पाटील ने भी ओपन बोर्ड परीक्षा की कॉपियों में छेड़छाड़ का मामला पकड़ा था। उस समय कलेक्टर पीएल सोलंकी ने ओपन बोर्ड को लिखकर अनुशंसा की कि श्योपुर में ओपन बोर्ड की परीक्षा ही न कराई जाएं। इन परीक्षाओं में लगातार धांधली हो रही है।
इनका कहना है
ओपन बोर्ड परीक्षा की स्कैन की गई कॉपियों में गड़बड़ी हुई है। कुछ मूल कॉपियां जो कोरी हैं, वह भोपाल में भरी हुई मिलीं। यह गलती हमारे यहां से नहीं हुई है। जांच के बाद ही असल दोषी का पता लगेगा।
गुरुजीत सिंह केन्द्राध्यक्ष, ओपन बोर्ड परीक्षा व प्रिंसीपल उत्कृष्ट स्कूल
ओपन बोर्ड परीक्षा में कॉपियों से छेड़छाड़ मिली है। इसकी जांच चल रही है। दो उपसंचालक पिछले दिनों श्योपुर आकर जांच कर चुके हैं। उन्हें कुछ गड़बड़ मिली इसलिए परीक्षा प्रभारी को हटा दिया गया है। मामला पूरी तरह हमें भी नहीं बताया गया है।
अजय कटियार जिला शिक्षा अधिकारी, श्योपुर