भोपाल। मध्यप्रदेश में पटवारी परीक्षा आयोजित होने जा रहीं हैं। करीब 9500 रिक्त पदों के लिए 12 लाख उम्मीदवारों ने आवेदन किए हैं परंतु इनमें से लाखों परीक्षार्थियों का परीक्षा कक्ष में प्रवेश ही खतरे में आ गया है। कारण है परीक्षार्थियों का बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन। सरल शब्दों में कहें तो फिंगर प्रिंट की समस्या। डॉक्टरों का कहना है कि सर्द मौसम के कारण त्वचा में कई परिवर्तन आते हैं, ऐसे में फिंगर प्रिंट मैच नहीं होने का खतरा बना रहता है। प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड का कहना है कि यदि ऐसा हुआ तो वो कोई विकल्प उपलब्ध नहीं करा पाएंगे।
अशोकनगर जिले के एक उम्मीदवार नीरज शर्मा ने इस मामले में आवाज उठाई है। भोपाल समाचार डॉट कॉम को भेजे अपने ईमेल में उन्होंने बताया कि उनकी त्वचा में गड़बड़ी हो गई है। घबराए नीरज जब डॉक्टर के पास गए तो डॉक्टर्स ने बताया कि उनके फिंगर प्रिंट नहीं आएंगे। यह परेशानी उन्हे पूरी सर्दियों में रहेगी। भागे भागे नीरज मंगलवार को व्यापमं की जनसुनवाई में आए और अपनी परेशानी बताई परंतु व्यापमं की तरफ से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। तब जाकर उन्होंने भोपाल समाचार डॉट कॉम से संपर्क किया।
सर्दियों में त्वचा बदल जाती है
प्रख्यात डॉक्टर एमबीबीएस/एमडी Dermatologists पंकज शुक्ला का कहना है कि सर्दियों में त्वचा में काफी परिवर्तन आते हैं। त्वचा में यदि नमी का संतुलन बदला, यदि आॅर्टरीज सिकुड़ गईं या फिर त्वचा में आॅइल का संतुलन बदला तो फिंगर प्रिंट बिगड़ सकते हैं। डॉक्टर पंकज शुक्ला इंदौर के प्रख्यात गंगाराम अस्पताल में सेवाएं दे चुके हैं।
जब फार्म भरते समय फिंगर प्रिंट दिए तो समस्या क्या है
उम्मीदवारों के फिंगर प्रिंट फार्म भरते समय लिए गए थे। उस समय सर्दियों का मौसम शुरू नहीं हुआ था लेकिन जब परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी तब ठंड कड़ाके की हो सकती है। ऐसी स्थिति में स्किन में यदि नमी या तेल की मात्रा बदल गई तो समस्या आ सकती है।
प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड का क्या कहना है
पीईबी के परीक्षा नियंत्रक डॉ अशोक सिंह भदौरिया का कहना है कि ऐसी स्थिति में हम कोई मदद नहीं कर पाएंगे। उम्मीदवार को परीक्षा देने से रोक दिया जाएगा। उनका कहना है कि फिंगर प्रिंट मैच होना अनिवार्य है। यदि किसी को अपने फिंगर प्रिंट को लेकर कोई समस्या है तो वो परीक्षा से पहले ही हमें आवेदन करे, उसके साथ मेडिकल प्रमाण पत्र लगाए तो उसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जा सकेगी। परीक्षा केंद्र पर तत्काल कोई विकल्प नहीं होगा।
होना क्या चाहिए
आधार कार्ड बनवाते समय फिंगर प्रिंट के अलावा आखों के रेटीना और चेहरे का डायमेंशन भी रिकॉर्ड किया गया था। किसी भी इंसान की पहचान के लिए यह तीनों ही विकल्प हैं। बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन के समय यदि फिंगर प्रिंट मैच नहीं होते तो आखों का रेटीना मैच किया जाता है। यह विकल्प होना ही चाहिए, यह जिम्मेदारी है। परंतु प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड के परीक्षा केंद्रों पर तकनीकी विकल्पों की कमी है। पूरी फीस लेने के बाद भी न्योयोचित व्यवस्थाएं जुटाई नहीं गईं हैं। यही कारण है कि व्यापमं की आॅनलाइन परीक्षाओं में फिंगर प्रिंट को लेकर सबसे ज्यादा विवाद होते हैं और मप्र पुलिस की भर्ती के समय बड़ा विवाद होने के बावजूद हालात सुधारे नहीं गए।