MPPSC 2017 जैन भर्ती घोटाला: इंटरव्यू में नंबर काटकर मामला दबाने की कोशिश | MP NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। MPPSC 2017 जैन भर्ती घोटाला का खुलासा होने के बाद इंटरव्यू में उन सभी के नंबर काट दिए गए। चौंकाने वाली बात यह है कि संदिग्ध सभी अभ्यर्थियों के लिखित परीक्षा में काफी अच्छे नंबर थे लेकिन इंटरव्यू में कोई भी 175 में से 100 नंबर भी नहीं ला पाया। एक अभ्यर्थी को तो 55 पर ही समेट दिया गया। यह लीपापोती प्रमाणित करती है कि घोटाला हुआ था परंतु समय रहते इसका खुलासा हो जाने के कारण यूटर्न ले लिया गया। 

ग्वालियर के प्रवीण भदौरिया का कहना है कि उन सभी अभ्यर्थी जिन पर संदेह जताया गया था, में से सिर्फ 4-5 लोगों का ही नाम मुख्य चयनित सूची में है। चयनित सूची MPPSC की बेबसाइट पर उपलब्ध है। असल में पूरा मामला इस तरह का भी बनता है कि कुछ लोगों को बोर्ड द्वारा अपनी पसंद से नंबर दिये जा रहे हैं। इससे पहले सभी 'जैन' छात्रावास के विद्यार्थियों के साक्षात्कार में अंक 120-130 से ऊपर दिये जाते रहें हैं (पुरानी सूची भी आयोग की बेबसाइट पर है) चूंकि इस बार मामला संज्ञान में आया है अतः सभी लोगों के अंक काटे गये हैं और सुनिश्चित किया गया है कि वो सेलेक्ट ना हों ताकि मामला फिर से प्रकाश में ना आये। याद कीजिए दलील यही दी गयी थी कि वो अभी सेलेक्ट नहीं हुए हैं।

क्या है मामला
मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग पर संदेह जताया गया था कि यहां जैन समुदाय विशेष के अभ्यर्थियों के एक समूह को कृपापूर्वक पास किया गया। बता दें कि पीएससी के परीक्षा नियंत्रक दिनेश जैन और प्रभारी परीक्षा नियंत्रक मदनलाल गोखरू जैन हैं। आरोप था कि मध्यप्रदेश के कई दूसरे जिलों के निवासी जैन छात्रों ने आगर मालवा स्थित एक परीक्षा केंद्र की मांग की और उन्हे वही केंद्र आवंटित किया गया। चौंकने वाली बात यह है कि इस केंद्र के सर्वेसर्वा भी जैन हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इस केंद्र से परीक्षा देने वाले 80 प्रतिशत से ज्यादा जैन पास हो गए। 

पीएससी अभ्यर्थी शिवनारायण बघेल ने भोपाल समाचार डॉट कॉम को ईमेल कर इसकी जानकारी दी थी। भोपाल समाचार ने इसका खुलासा किया। उन्होंने कुछ दस्तावेज भी भेजे थे जो उनके संदेह को पुख्ता करते हैं। संदेह का पुख्ता आधार यह है कि अभ्यर्थी से लेकर परीक्षा नियंत्रक तक सब के सब जैन, और एक ही चैनल से लगभग सभी पास हुए। ऐसा क्यों। 

लिखित परीक्षा के घोषित परिणामों में शुरू के पन्नों में कुछ समझ नहीं आएगा लेकिन आखिरी का पन्ना देखिए तो इसमें अगाध-अद्भुत जैन सेवा दिखती है। आखिरी के पेज में 24 में से 18, लोग जैन ही है। केन्द्र का शहर कैंडीडेट को चूज करना पड़ता है फिर आयोग उसी शहर में सेंटर अपनी मर्जी से अलॉट करता है। इन सबने अलग जिले का होते हुए भी आगर मालवा जो कि एक छोटा सा जिला है, उसे ही अपनी परीक्षा केन्द्र का शहर क्यूँ चुना? और फिर सेंटर भी एक ही अलॉट हो गया।

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