जबलपुर। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारियों को मप्र शासन का कर्मचारी मानते हुए मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग की परीक्षाओं में आयुसीमा की छूट मिलेगी या नहीं अब यह फैसला मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की डिविजन बेंच करेगी। इससे पहले हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने मिशन कर्मचारी को इस तरह की छूट का आदेश दिया था परंतु डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश पर स्टे लगा दिया है।
मामला मेडिकल ऑफिसर एग्जाम का है जिसमें मप्र शासन के कर्मचारियों को 5 वर्ष आयुसीमा में छूट का प्रावधान था। सीधी निवासी रनबहादुर सिंह ने मध्यप्रदेश शासन के स्थायी-अस्थायी तथा राज्य के निगम, मंडल, परिषद, नगर निगम, नगर पालिका आदि स्वशासी संस्थाओं में कार्यरत समस्त कर्मचारियों और नगर सैनिकों की श्रेणी में न होते हुए भी इस छूट का लाभ ले लिया था। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने यह आदेश जारी किया था। जिसे पीएससी ने अपील के जरिए चुनौती दी।
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान अपीलकर्ता मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (पीएससी) की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत सिंह, अंशुल तिवारी और मानस वर्मा खड़े हुए। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता सीधी निवासी रनबहादुर सिंह केन्द्र शासन द्वारा संचालित एनआरएचएम प्रोजेक्ट में कार्यरत हैं। लिहाजा, वे 40 के स्थान पर 45 वर्ष की आयुसीमा का लाभ लेने के हकदार नहीं हैं। इसके बावजूद उन्होंने पूर्व में अपनी याचिका के जरिए सिंगल बेंच से 5 वर्ष के आयु सीमा छूट का लाभ ले लिया।
जबकि कायदे से सामान्य आवेदकों के लिए 40 वर्ष की आयुसीमा का प्रावधान है, जो कि रनबहादुर सिंह के संबंध में सख्ती से लागू होने लायक है। यदि रनबहादुर सिंह राज्य शासन के अंतर्गत किसी उपक्रम में कार्यरत होता तो अवश्य उसे 5 वर्ष की छूट के साथ 45 वर्ष तक की आयुसीमा का लाभ मिलता। वर्तमान में उसकी आयु 42 वर्ष है अत: वह पीएएसी के मापदंड के अनुकूल न होने के कारण बाहर किए जाने योग्य है। लिहाजा, हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के पूर्व आदेश पर रोक अपेक्षित है।