
गलत जानकारी पर पांच साल की जेल
आयकर विभाग की जांच में अगर यह बेनामी संपत्ति साबित हुई तो कार्रवाई बेनामी कानून के तहत ही की जाएगी। नए कानून के तहत बेनामी संपत्ति रखनेवालों को सात साल तक की कैद हो सकती है। साथ ही संपत्ति के 10 फीसदी तक का जुर्माना भी लग सकता है। इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति गलत जानकारी देता है तो उसे पांच साल की जेल हो सकती है। उल्लेखनीय है कि अब तक ऐसे मामलों को कर चोरी के मामलों के दायरे में लाकर जांच की जाती थी लेकिन अब बेनामी कानून के तहत जांच होगी।
ऐसे हुआ शक
सूत्रों के मुताबिक आयकर जांच में यह बात सामने आई है कि नोटबंदी के दौरान कई लोगों ने अपने साथ दूसरों के खातों में भारी मात्रा में नकदी जमा कराई और बाद में इसे निकाल लिया। इसी तरह से निवेश भी भारी मात्रा में किया गया मगर इन लोगों ने इसका उल्लेख आयकर रिटर्न में नहीं किया।
आयकर विभाग भेज रहा नोटिस
आयकर विभाग ने ऐसे लोगों की पूरी सूची तैयार की है जिन्होंने बैंकों में जमा राशि या निवेश को आयकर रिटर्न में नहीं दिखाया है। इसमें कंपनियां भी शामिल हैं। ऐसे लोगों और कंपनियों आयकर विभाग की ओर से नोटिस भेजे जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि सबसे पहले इन लोगों से इस बात का सबूत मांगा जाएगा कि इन्होंने बैंकों में जो राशि जमा कराई और निवेश किया, वह उनका ही है। सबूत नहीं देने वाले लोगों और कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
24 टीमें कर रहीं निगरानी
आयकर विभाग ने रिटर्न में संपत्ति छुपाने वालों की जांच के लिए खास तैयारी की है। विभाग ने बेनामी संपत्ति का पता लगाने के लिए 24 खास टीमें तैनात हैं। साथ ही आयकर विभाग ने बेनामी संपत्ति पर कार्रवाई के लिए विशेषीकृत वित्तीय लेन-देन (एसएफटी) का दायरा भी बढ़ा दिया है।