नई दिल्ली। जिस लड़की के पिता ने महात्मा गांधी के कहने पर अपनी सारी संपत्ति त्यागकर आजादी के आंदोलन में भाग लिया। आज वही लड़की और महात्मा गांधी की पौत्रवधू शिवालक्ष्मी उनके प्रयासों से आजाद हुए भारत में लावारिस जिंदगी बसर कर रही है। वो दिल्ली से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित गांव कादीपुर में आरटीआई एक्टिविस्ट हरपाल राणा के घर में रहती हैं। उनके पति और बापू के पौत्र कानूभाई नासा में वैज्ञानिक थे। वो खुद अमेरिका में प्रोफेसर थीं परंतु जिंदगी के अंतिम दिनों में वो भारत आ गए। कानूभाई की मृत्यु के बाद वो 3 साल से ऐसी ही जिंदगी बसर कर रहीं हैं।
पति की तबीयत खराब होने पर तीन साल पहले आई थीं इंडिया
शिवा लक्ष्मी के पति कानू गांधी की करीब तीन साल पहले भारत में तबीयत खराब हो गई थी, उस समय वे सबकुछ छोड़कर भारत गई थीं लेकिन पिछले एक साल से वे गुमनामी की जिंदगी जीने को मजबूर हैं। वे कहती हैं कि पति की बीमारी के समय मोदी सरकार ने मदद की थी, लेकिन करीब एक साल पहले हुई उनकी मौत के बाद अब कोई मेरी सुधबुध लेने वाला नहीं है।
राहुल गांधी से एक बार बात हुई
वे कहती हैं कि सिर्फ राहुल गांधी ने उनसे संपर्क किया था और हालचाल पूछा था। शिवा लक्ष्मी गांधी के पति अमेरिका में नासा में सांइटिस्ट थे और वे खुद बोस्टन बायोमेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट में प्रोफेसर रह चुकी हैं।
गैरों ने हाथ बढ़ाया
खैरियत पूछने पर शिवा लक्ष्मी बताती हैं कि अपनाें ने तो दूरी बना ली है लेकिन गैरों ने हाथ आगे बढ़ाया है। दरअसल पति की बीमारी के समय शिवा लक्ष्मी इंडिया आई थीं। करीब एक साल पहले पति की मौत के बाद वे एक सामाजिक संस्था में रहीं।
यहां कुछ महीने रहने के बाद खादी ग्रामोद्योग संघ के पूर्व डायरेक्टर बीआर चाैहान ने उन्हें अपने घर पर रखा और उनकी सेवा की। बाद में उनके ही दोस्त और आरटीआई एक्टिविस्ट हरपाल राणा उन्हें कादीपुर स्थित अपने घर ले आए। अब वे यहीं रहती हैं।
देवर गोपाल गांधी से बात नहीं हुई
अपनों से दूरी से सवाल पर हल्की जुबां में शिवा लक्ष्मी बताती हैं, "मैं खुद को सौभाग्यशाली मानती हूं कि गैरों के बीच भी अपनों की कमी नहीं खलती।" उन्होंने यह भी बताया कि उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ चुके और पश्चिम बंगाल के गवर्नर रहे उनके देवर गोपाल गांधी से उनसे बात नहीं होती।
शिवालक्ष्मी के पिता ने संपत्ति त्यागकर गांधीजी का साथ दिया था
शिवा लक्ष्मी के पिता 1930 के आस-पास गांधीजी से मिले थे। उस समय वे बेहद अमीर व्यक्ति हुआ करते थे, लेकिन गांधीजी ने जब उनसे कहा कि आजादी की लड़ाई में शामिल होने के लिए तुम्हें एशो-आराम छोड़ने पड़ेंगे तो उन्होंने सबकुछ छोड़ दिया था। उस समय गांधीजी के पोते कानू भाई गांधी भी छोटे थे। बाद में दोनों की शादी हुई।