अहमदाबाद। गुजरात हाईकोर्ट ने अहम फैसले के तहत GUJARAT में PRIVET SCHOOL की FEES को नियंत्रित करने के लिए बनाए गए कानून को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज कर दी हैं। साथ ही कानून को वर्ष 2018 के सत्र से लागू करने के निर्देश दिए हैं। गुजरात स्व-वित्त पोषित स्कूल (फीस विनियमन) कानून 2017 को सरकार ने इस साल मार्च में पारित किया था। इसी के साथ तय हो गया कि अब गुजरात में स्कूली शिक्षा का खर्चा लगभग आधा हो जाएगा। इस कानून के तहत प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में स्टूडेंट्स से सालाना फीस लेने की अधिकतम सीमा क्रमश: 15 हजार, 25 हजार और 27 हजार रुपए तय की गई है। इसके उल्लंघन पर पांच से दस लाख तक जुर्माना और बाद में मान्यता रद्द करने जैसे प्रावधान कानून में हैं।
इसके तहत किसी तरह की शिकायत आदि के निपटारे के लिए राज्य को चार क्षेत्रों -अहमदाबाद, राजकोट, सूरत और वडोदरा में बांटकर फीस नियमन समितियां बनाई गई हैं। चीफ जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस वीएम पंचोली की बेंच ने इस मामले में सुनवाई पूरी कर गत 31 अगस्त को फैसला सुरक्षित रखा था। कोर्ट ने कानून और इसके तहत बनी फीस नियमन समितियों को संवैधानिक करार दिया। वहीं, अधिक फीस लेने वाले स्कूलों को छह हफ्तों में अपना पक्ष सक्षम प्राधिकारी के समक्ष रखने को कहा है। स्कूलों को अपनी आय और अन्य जानकारी भी देने को कहा गया है।
15,927 स्कूलों में से 4,753 ले रहे ज्यादा फीस :
गुजरात सरकार के आंकड़ों के अनुसार कानून के दायरे में आने वाले राज्य के 15,927 स्कूलों में से 11,174 कानून में निर्धारित अधिकतम सीमा से कम फीस लेते हैं। 841 ने फीस नियमन समिति से संपर्क किया है। 2,000 से अधिक स्कूलों ने कोई हलफनामा नहीं दिया और 2,300 से अधिक स्कूलों ने कानून को चुनौती दी थी।
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कानून को लागू करने का फ्रेमवर्क तैयार :
'गुजरात में कानून को लागू करने की पूरा फ्रेमवर्क तैयार है। बुधवार से एक वेबसाइट भी शुरू की जा रही है। इसके जरिये लोग स्कूलों में प्रवेश के लिए ऑनलाइन फार्म भर सकेंगे। इसमें स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों के बीच कोई सीधा संपर्क नहीं होगा।'
सुनयना तोमर, प्रमुख सचिव, शिक्षा विभाग, गुजरात
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